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मिट्टी व जल संरक्षण के लिए प्रदूषण नियंत्रण जरूरी : डॉ वदूद

रांची: बिरसा कृषि विवि कृषि भौतिकी विभागाध्यक्ष व मौसम वैज्ञानिक डॉ ए वदूद ने कहा है कि एक वयस्क वृक्ष प्रति घंटे जितना ऑक्सीजन छोड़ता है, वह 10 व्यक्तियों की दैनिक आवश्यकता के लिए पर्याप्त होता है. इसलिए लोगों को पेड़ लगाने और पेड़ बचाने का संकल्प लेना चाहिए. डॉ वदूद 24 जून को अंतरराष्ट्रीय […]

रांची: बिरसा कृषि विवि कृषि भौतिकी विभागाध्यक्ष व मौसम वैज्ञानिक डॉ ए वदूद ने कहा है कि एक वयस्क वृक्ष प्रति घंटे जितना ऑक्सीजन छोड़ता है, वह 10 व्यक्तियों की दैनिक आवश्यकता के लिए पर्याप्त होता है. इसलिए लोगों को पेड़ लगाने और पेड़ बचाने का संकल्प लेना चाहिए. डॉ वदूद 24 जून को अंतरराष्ट्रीय मिट्टी वर्ष पर आयोजित एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन बीएयू के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग तथा भारतीय मृदा विज्ञान सोसाइटी रांची चैप्टर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था.
डॉ वदूद ने कहा कि ग्रीन हाउस गैस उत्सजर्न के मामले में भारत का स्थान चीन, अमेरिका और यूरोप के बाद चौथा है. प्रति व्यक्ति उत्सजर्न देखें, तो भारत अभी सबसे पीछे है. झारखंड में पिछले दशक में औसत वार्षिक वर्षा बढ़ी है, लेकिन बारिश वाले दिनों की संख्या घटी है. गरमी के मौसम में तापमान बढ़ा है, जबकि जाड़े में तापमान घटा है.

इससे मौसम संबंधी विकृतियां भी बढ़ी हैं. उन्होंने प्रदूषण नियंत्रित करने, ग्रीन हाउस गैसों का उत्सजर्न घटाने, प्लास्टिक का उपयोग कम करने, वाहनों का विवेकपूर्ण प्रयोग करने, वृक्षारोपण, समुचित कचरा प्रबंधन तथा ऊर्जा एवं जलावन के अनावश्यक प्रयोग से बचने पर जोर दिया. कार्यक्रम को मृदा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ बीके अग्रवाल, मृदा विज्ञान सोसाइटी के सचिव डॉ डीके शाही ने भी संबोधित किया. आयोजन सचिव डॉ अरविंद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर डॉ राकेश कुमार, डॉ आशा कुमारी सिन्हा, प्रो भूपेंद्र कुमार, डॉ एनसी गुप्ता व अन्य उपस्थित थे. कार्यक्रम में बीएयू के वैज्ञानिकों के अलावा संत जोसफ स्कूल के शिक्षकों सहित लगभग 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया.

मिट्टी स्वस्थ होने पर बढ़ेगा उत्पादन
निदेशक, छात्र कल्याण डॉ एनके राय ने कहा है कि मिट्टी स्वस्थ होगी तभी ज्यादा उत्पादन होगा और हमारी खाद्य आवश्यकता की पूर्ति होगी. कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस यादव ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग, अधिक जुताई-गुड़ाई तथा पानी के तेज बहाव से मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है. पहाड़, मैदान, खेत सभी जगह की मिट्टी तेज हवा और वर्षा जल के वेग से नदी-नाले में जा रही है. इसे वृक्षारोपण और मेढ़बंदी से रोका जा सकता है.

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