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सरकार को अधिक शक्ति देने पर बंटे आइआइएम

त्रशुल्क, भरतियों और शिक्षकों की सेवा शर्तों के फैसले में अब सरकार की सहमति होगी जरूरीएजेंसियां, नयी दिल्लीभारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) में शुल्क, भरती और शिक्षकों की सेवा शर्तों सहित इन संस्थानों के कामकाज में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अधिक शक्तियां देने के प्रावधानवाले विधेयक के मसौदे को लेकर ये प्रतिष्ठित संस्थान बंटे नजर […]

त्रशुल्क, भरतियों और शिक्षकों की सेवा शर्तों के फैसले में अब सरकार की सहमति होगी जरूरीएजेंसियां, नयी दिल्लीभारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) में शुल्क, भरती और शिक्षकों की सेवा शर्तों सहित इन संस्थानों के कामकाज में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अधिक शक्तियां देने के प्रावधानवाले विधेयक के मसौदे को लेकर ये प्रतिष्ठित संस्थान बंटे नजर आ रहे हैं. पुराने छह आइआइएम में यह विचार है कि संस्थानों के ‘सूक्ष्म प्रबंधन’ का प्रयास किया जा रहा है, जो उनकी स्वायत्तता का उल्लंघन करनेवाली बात है. दूसरी तरफ आठ नये आइआइएम महसूस करते हैं कि ये चिंता गैरजरूरी है.आइआइएम-अहमदाबाद के निदेशक आशीष नंदा ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक का संस्थानों के ‘सूक्ष्म प्रबंधन’ का औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा. उन्होंने कहा, ‘सूक्ष्म-प्रबंधन कभी अच्छा नहीं होता है. अगर यह होता है, तो इन संस्थानों में काम करनेवाले लोग कम सशक्त महसूस करेंगे.’इस विधेयक के अनुसार, आइआइएम के बोर्ड शुल्क, भरतियों और शिक्षकों की सेवा शर्तों जैसे मामलों में फैसले सिर्फ केंद्र की अनुमति के जरिये ही ले सकेंगेे. इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समन्वय मंच के गठन का भी प्रावधान किया गया है. विधेयक के मसौदे में शामिल एक आइआइएम प्रोफेसर ने भी अंतिम मसौदे को लेकर हैरानी जतायी है, क्योंकि उनके मुताबिक, पहले के दस्तावेज में संस्थानों को चलाने के संदर्भ में सरकार को ‘अत्यधिक प्राधिकार’ की बात शामिल नहीं थी. इसमें आखिरी समय में बदलाव किया गया है.

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