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लिंग पहचान से मुक्त देश की पहली डिग्री

त्रछात्र के आग्रह पर नालसर विधि विश्वविद्यालय ने जारी की डिग्रीएजेंसियां, नयी दिल्लीहैदराबाद स्थित नालसर विधि विश्वविद्यालय ने स्नातक की अपनी उस छात्रा को लिंग पहचान से मुक्त प्रमाणपत्र जारी किया है, जो ‘मिस्टर’ या ‘मिस’ की बजाय ‘एमएक्स’ से अपनी पहचान बताये जाने की इच्छुक थी. देश में पहली बार इस तरह की डिग्री […]

त्रछात्र के आग्रह पर नालसर विधि विश्वविद्यालय ने जारी की डिग्रीएजेंसियां, नयी दिल्लीहैदराबाद स्थित नालसर विधि विश्वविद्यालय ने स्नातक की अपनी उस छात्रा को लिंग पहचान से मुक्त प्रमाणपत्र जारी किया है, जो ‘मिस्टर’ या ‘मिस’ की बजाय ‘एमएक्स’ से अपनी पहचान बताये जाने की इच्छुक थी. देश में पहली बार इस तरह की डिग्री जारी की गयी है.इस लॉ स्कूल से इसी साल स्नातक की डिग्री हासिल करनेवाली अनिंदिता मुखर्जी ने संस्थान के प्रशासन से आग्रह किया था कि उनके प्रमाणपत्र में नाम से पहले ‘एमएक्स’ लिखा जाये और विश्वविद्यालय ने इसे स्वीकार कर लिया. अनिंदिता खुद के लिए ‘ही’ (पुलिंग) अथवा ‘शी’ (स्त्रीलिंग) की बजाय ‘दे’ (वे) का संबोधन पसंद करती हैं.इस विधि स्नातक ने कहा, ‘मुझे लगा कि प्रमाणपत्र पर मेरा लिंग लिखने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा विधि विश्वविद्यालय ऐसा स्थान है, जहां हम निरंतर न्याय, अधिकार और पहचान पर चर्चा करते हैं. ऐसे में मैं देखना चाहती थी कि क्या विश्वविद्यालय इस बिंदु पर पहल करता है.’ अनिंदिता ने कहा, ‘एमएक्स लिंग की पहचान से मुक्त संबोधन है, जिसके प्रति आकर्षण बढ़ रहा है.’ब्रिटेन में बढ़ा है ‘एमएक्स’ का चलनब्रिटेन में हाल के वर्षों में ‘एमएक्स’ के उपयोग का चलन बढ़ा है और ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थानों में लिंग के शीर्षक के लिए आग्रह को लेकर औपचारिक व्यवस्था है.कोट”एक संस्थान के तौर पर हमने अभी कोई नीतिगत फैसला नहीं किया है. लेकिन हमें छात्रा के आग्रह में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. निकट भविष्य में विश्वविद्यालय ऐसी नीति बनाने और लागू करने की संभावना पर विचार करेगा.अमिता धांडा, संयोजक, शिक्षा एवं परीक्षा समिति, नालसर

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