रांची: हाइकोर्ट में बुधवार को कांके के नगड़ी में निर्माणाधीन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि राज्य सरकार द्वारा दिये गये 50 करोड़ रुपये कहां खर्च किये गये हैं, हिसाब दिये जायें. मामले की अगली सुनवाई 17 अक्तूबर को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता आरएस मजूमदार ने खंडपीठ को बताया कि यूनिवर्सिटी को 50 करोड़ रुपये दिये गये थे. चहारदीवारी बनायी गयी है. यूनिवर्सिटी ने सिर्फ 15 करोड़ रुपये ही खर्च किया. 20 करोड़ रुपये ठेकेदार को एडवांस दिया गया है.15 करोड़ रुपये यूनिवर्सिटी के खाते में जमा है. इसके बावजूद यूनिवर्सिटी को और पैसा चाहिए, जबकि पहले का पूरा पैसा भी खर्च नहीं किया गया है. महाधिवक्ता ने यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार के पास पैसे का पेड़ नहीं है, जिसे हिलाने पर पैसा मिलेगा. पब्लिक मनी है, उसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने इसकी सीबीआइ जांच कराने का भी सुझाव दिया.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बार एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट ने जनहित याचिका दायर कर लॉ यूनिवर्सिटी का निर्माण तेजी से कराने के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया है. यूनिवर्सिटी की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर कर बताया गया है कि राज्य सरकार से 150 करोड़ रुपये मांगे गये हैं, पर सरकार राशि नहीं दे रही है.