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विधानसभा के लिए जमीन लेने से पहले विस्थापितों को बसाये सरकार : बंधु

रांची: पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने कहा है कि एचइसी में विधानसभा निर्माण से पहले सरकार विस्थापितों को बसाये. विस्थापितों के पुनर्वास के बिना वहां निर्माण कार्य नहीं होने दिया जायेगा. एचइसी ने पहले ही रैयतों को ठगा है. राज्य सरकार मरहम लगाने के बजाय एक बार फिर जमीन छीनने की साजिश कर रही है. […]

रांची: पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने कहा है कि एचइसी में विधानसभा निर्माण से पहले सरकार विस्थापितों को बसाये. विस्थापितों के पुनर्वास के बिना वहां निर्माण कार्य नहीं होने दिया जायेगा.

एचइसी ने पहले ही रैयतों को ठगा है. राज्य सरकार मरहम लगाने के बजाय एक बार फिर जमीन छीनने की साजिश कर रही है. पूर्व की सरकार ने भी कहा था कि विश्वास की नींव पर विधानसभा बनेगी. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समय भी निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन बाद में रोका गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा था कि विधानसभा निर्माण से होने वाले विस्थापितों को अच्छा पैकेज दिया जायेगा. पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा ने कहा था कि विस्थापितों के साथ बिना समझौते के एक ईंट नहीं रखी जायेगी. पूर्व विधायक श्री तिर्की पत्रकारों से बात कर रहे थे. उनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता वासवी किड़ो भी मौजूद थीं.

श्री तिर्की ने कहा कि अगर वर्तमान सरकार विस्थापितों को न्याय नहीं देती है, तो उसका विरोध किया जायेगा. उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य शुरू किया गया, तो गुरुवार की रात से ही निर्माण स्थल पर डेरा डाल दिया जायेगा. सरकार लाठी-गोली चलाये, लेकिन 12 जून को शिलान्यास नहीं होने दिया जायेगा. बुधवार की शाम श्री तिर्की और श्रीमती किड़ो विस्थापितों के साथ मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार से मिले. प्रधान सचिव से मिल कर विस्थापितों के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा करने की मांग की गयी. तिरिल, लाबेद, कुटे, नया सराय, मुड़मा, आनी के विस्थापितों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर पुनर्वास और न्याय देने की मांग की है.

शिलान्यास का विरोध करेगी हटिया विस्थापित परिवार समिति
हटिया विस्थापित परिवार समिति 12 जून को विधानसभा भवन के लिए बननेवाले बाउंड्रीवाल के शिलान्यास कार्य का विरोध करेगी. इस संबंध में विस्थापित परिवार की बैठक पंकज शाहदेव की अध्यक्षता में हुई. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विरोध प्रदर्शन किया जायेगा, ताकि सरकार को इसे स्थगित करने पर मजबूर होना पड़े. उन्होंने कहा कि यदि सरकार बंदूक के बल पर यह कार्य करवायेगी, तो ग्रामीण भी उग्र आंदोलन करने के लिए विवश होंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण न्यायालय जाने की तैयारी कर चुके हैं. विस्थापितों को भरोसा था कि सरकार ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कोई कार्य करेगी, पर सरकार ऐसा नहीं कर रही है. सरकार के इस रवैये को देखते हुए सड़क से लेकर न्यायालय तक इसकी लड़ाई लड़ी जायेगी. बैठक में संतोष महतो, कर्मा उरांव, मेघनाथ महतो, एनुल हक, अशोक शाहदेव, नेपाल बैठा, विजय मुंडा, मनोज बैठा, संतराज प्रजापति, डी शाहदेव, दिलीप बैठा, विनय शाहदेव, प्रशांत शाहदेव, आर सिंह, रामेश्वर महली सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे.

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