रांची: छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाते हुए झारखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने से पहले किसानों का निबंधन (रकबा व अन्य ब्योरे के साथ) जरूरी कर दिया गया है.
धान की कीमत का भुगतान चेक या ड्राफ्ट से करने के बजाय आधार नंबर के जरिये सीधे बैंक खाते में किया जायेगा. इससे फरजी खरीद, दलाली व वित्तीय अनियमितता से निजात मिल सकती है. शनिवार को कैपिटोल हिल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में इस संबंध में जानकारी दी गयी. कार्यशाला का विषय धान खरीद नीति में बदलाव था.
खाद्य आपूर्ति सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग ऑनलाइन पोर्टल के जरिये करने का निर्णय लिया है. इसे इसी वर्ष शुरू कर संपूर्ण प्रक्रिया अगले वर्ष तक पूरी कर ली जायेगी. धान खरीद के केंद्र के रूप में कार्यरत लैंप्स-पैक्स अब सिर्फ धान खरीद कर उसे अस्थायी स्टोरेज प्वाइंट तक पहुंचा देंगे. धान को मिल में भेजने व मिल से चावल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को देने की जिम्मेवारी राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) की होगी. कार्यशाला में मुख्य सचिव आरएस शर्मा, सचिव सहकारिता बीके त्रिपाठी, निबंधन सहयोग समितियां सह कृषि निदेशक केके सोन, खाद्य आपूर्ति विभाग के संयुक्त सचिव नरेश प्रसाद सिंह व छत्तीसगढ़ से आये मार्कफेड के महाप्रबंधक यूएस खान ने अपने विचार रखे.
दो अन्य अधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ व पंजाब में धान खरीद की प्रक्रिया देख कर आये जिला सहकारिता पदाधिकारी, देवघर राम कुमार प्रसाद ने पावर प्रेजेंटेशन के जरिये जानकारी दी. कार्यक्रम में केपी वाघमारे, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, राज्य खाद्य निगम व राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी तथा लैंप्स-पैक्स के अध्यक्ष उपस्थित थे.