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श्रमिक यूनियनों ने एचइसी के खिलाफ खोला मोरचा
113 सेवानिवृत्त कर्मियों को लीव सैलरी नहीं देने का विरोध शुरू रांची : एचइसी के सेवानिवृत्त कर्मी प्रबंधन के खिलाफ न्यायालय में अवमानना का केस दायर करेंगे. इस बाबत हटिया कामगार यूनियन के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि एचइसी प्रबंधन ने उच्च न्यायालय के आदेश की परवाह किये बगैर एचइसी कर्मचारियों की लीव सैलरी […]
113 सेवानिवृत्त कर्मियों को लीव सैलरी नहीं देने का विरोध शुरू
रांची : एचइसी के सेवानिवृत्त कर्मी प्रबंधन के खिलाफ न्यायालय में अवमानना का केस दायर करेंगे. इस बाबत हटिया कामगार यूनियन के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि एचइसी प्रबंधन ने उच्च न्यायालय के आदेश की परवाह किये बगैर एचइसी कर्मचारियों की लीव सैलरी (बची हुई छुट्टी की राशि) व रिटायरमेंट ट्रेवलिंग एलाउंस (आरटीए) भुगतान नहीं कर रहा है.
न्यायालय ने गत दस फरवरी को कंपनी के निदेशक वित्त को 16 सप्ताह में लंबित लीव सैलरी के भुगतान का आदेश दिया था. एचइसी प्रबंधन ने 19 मार्च को सकरुलर जारी कर लीव सैलरी भुगतान पर एक साल के लिए रोक लगा दी है. अब प्रबंधन सेवानिवृत्ति कर्मियों को स्पीड पोस्ट के माध्यम से पत्र लिख कर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण भुगतान नहीं करने की बात कह रहा है. उन्होंने कहा कि 18 जून के बाद यूनियन अवमानना का केस दायर करेगा.
मार्च 2011 से बंद है लीव सैलरी का भुगतान : यूनियन के लालदेव सिंह ने कहा कि एचइसी प्रबंधन ने मार्च 2011 से कर्मचारियों को लीव सैलरी देना बंद कर दिया है. बावजूद इसके कंपनी ने पिछले दरवाजे से 22 कर्मचारियों व अधिकारियों को लीव सैलरी का भुगतान कर दिया.
वहीं, 113 कर्मचारियों को छोड़ दिया गया था. इसके बाद कर्मचारियों ने कंपनी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में केस कर दिया.
रांची : राज्य के कॉलेजोंमें इंटरमीडिएट की सीटें बढेंगी. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इस संबंध में कॉलेजों से प्रस्ताव मंगा है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने कॉलेजों में इंटरमीडिएट के तीनों संकायों (विज्ञान, वाणिज्य व कला) में सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है.
साथ ही इस संबंध में कॉलेजों से प्रस्ताव मांगा है. सत्र 2015-17 के लिए कॉलेज आवश्यकता अनुरूप सीटों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव जमा कर सकते हैं. सीटें राज्य स्थायी प्रस्वीकृति प्राप्त इंटर कॉलेजों, डिग्री कॉलेजों, अंगीभूत कॉलेजों में ही बढ़ायी जायेंगी. सीट बढ़ोतरी के लिए आवेदन छह जुलाई तक जमा लिये जायेंगे. अंगीभूत व डिग्री कॉलेज के प्राचार्य अपने विश्वविद्यालय के माध्यम से आवेदन जमा करेंगे.
आवेदन में कॉलेजको वर्ग कक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, शिक्षकों की स्थिति, वर्ष 2015 में इंटर का रिजल्ट, विद्यार्थियों की संख्या के बारे में भी जानकारी देना अनिवार्य होगा. सीटें पूर्व में स्वीकृत सीटों के अतिरिक्त होंगी. कॉलेजों द्वारा जमा प्रस्ताव पर विचार के बाद ही जैक सीटें बढ़ाने की अनुमति देगा. कॉलेजों को निर्देश दिया गया है कि सीटों में बढ़ोतरी की अनुमति मिलने के बाद ही बढ़ी सीटों पर नामांकन लें.
मैट्रिक पास अभ्यर्थियों से कम है इंटर में सीट
राज्य के 15 जिलों में वर्ष 2015 में मैट्रिक पास विद्यार्थी की तुलना में इंटर में सीट कम है. मैट्रिक पास लगभग 45 हजार विद्यार्थी के इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए अपना जिला छोड़ना होगा.
जिला नहीं छोड़ने की स्थिति में विद्यार्थी आगे की पढ़ाई नहीं कर सकेंगे. वर्ष 2015 में जिलावार मैट्रिक पास परीक्षार्थी व जिलों में इंटर की सीट को देखा जाये, तो राज्य के 15 जिलों में मैट्रिक पास परीक्षार्थी की तुलना में इंटर की सीट कम है. सीट कम होने के कारण मैट्रिक पास विद्यार्थियों को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है. जिलों में इंटर की सीट कम देखते हुए जैक ने सीट बढ़ाने का निर्णय लिया है.
नामांकन नहीं होने से छोड़ देते हैं पढ़ाई
नामांकन नहीं होने से कई जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं.मैट्रिक में परीक्षार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2005 की तुलना में 1.97 लाख अधिक विद्यार्थी मैट्रिक परीक्षा में सफल हुए हैं. एक ओर विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य गठन के बाद राज्य में इंटर की पढ़ाई के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खुला. इस कारण विद्यार्थी को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है.
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