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44 साल से अपने भाई की तलाश में जुटीं हैं रीता, पाकिस्तान की जेल में बंद हैं 1971 की लड़ाई में शामिल रहे कमल
सुनील कुमार डकरा/मैक्लुस्कीगंज : सरबजीत सिंह की रिहाई की कोशिश करती उनकी बहन दलजीत कौर भले ही हताश हो गयी हैं, लेकिन रीता बक्शी ने अपनी भाई की तलाश ताउम्र करने की ठानी है. लंदन से आई रीता बक्शी पिछले 44 सालों से अपने छोटे भाई कैप्टन कमल बक्शी को खोज रही हैं. कैप्टन कमल […]
सुनील कुमार
डकरा/मैक्लुस्कीगंज : सरबजीत सिंह की रिहाई की कोशिश करती उनकी बहन दलजीत कौर भले ही हताश हो गयी हैं, लेकिन रीता बक्शी ने अपनी भाई की तलाश ताउम्र करने की ठानी है. लंदन से आई रीता बक्शी पिछले 44 सालों से अपने छोटे भाई कैप्टन कमल बक्शी को खोज रही हैं. कैप्टन कमल पाकिस्तान की किसी जेल में बंद हैं. इसकी जानकारी कई माध्यमों से रीता बक्शी को मिलती रही है. वर्ष 1971 में भारत पाकिस्तान की लड़ाई में जम्मू के छमजारिया से सुबेदार आशा सिंह के साथ कैप्टन बक्शी गायब है.
मैक्लुस्कीगंज स्थित अपने पैतृक मकान पहुंची रीता बक्शी ने भावुक होकर प्रभात खबर को बताया कि 1971 में उनकी शादी की तैयारी को लेकर कमल घर आये थे. उसी समय युद्ध छिड़ गया और उसकी छुट्टी रद्द हो गयी और वह लड़ाई पर चले गये. उसके बाद वह कभी लौट कर नहीं आये. बाद में कमल के साथियों ने बताया कि वह फ्रंट पर अपनी बटालियन को लीड कर रहे थे. उसमें जवानों की संख्या कम थी. पाकिस्तानी जवान अधिक थे. इसी बीच वहां अंधेरा छा गया.
उसके बाद से कमल और आशा सिंह गायब हो गये. बाद में 10 घंटे की लड़ाई के बाद वहां से पाकिस्तानियों को खदेड़ दिया गया. जब तक पिता कर्नल ओपी बक्शी जिंदा रहे वे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सेना प्रमुख को लगातार कमल की वापसी के बारे में लिखते रहे, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 1997 में पिता की मौत के बाद से अपने भाई को तलाशने का जिम्मा वह उठा रही है. सेना के कई बड़े अधिकारियों ने उन्हें प्रमाणिक तौर पर बताया है कि कमल जिंदा है और पाकिस्तान की जेल में बंद है. उन्हें भी सूचना है कि हर तीन महीने में उसे अलग-अलग जेलों में रखा जाता है.
रीता बक्शी को भारत सरकार से शिकायत है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश विभाजन के समय इंदिरा गांधी ने 90 हजार पाकिस्तानी बंदियों को इस शर्त पर छोड़ा था कि पाकिस्तान सभी भारतीय बंदियों को रिहा करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद जो भी सरकारें आयीं सिर्फ आश्वासन ही मिला. लंदन में सिविल सर्विस से चार साल पहले रिटायर हुईं रीता बक्शी अब सिर्फ अपने भाई की तलाश में लगी हैं. भाई के दोस्त अजिताभ (अमिताभ बच्चन के छोटे भाई), वॉलीवुड के कलाकार कबीर बेदी जैसे लोग उन्हें इस मुहिम में मदद भी कर रहे हैं.
22 जुलाई को दायर किया जायेगा मामला
22 जुलाई को लंदन में रहने वाली वकील जसवीर उप्पल इस मामले को लेकर भारत सरकार के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज करेंगी. मानवाधिकार आयोग से जुड़ी जसवीर उप्पल ऐसे मामले में पीड़ित परिवारों के लिए काम करती हैं. रीता ने बताया कि अमेरिका अपने मरे हुए सैनिको की हड्डियां भी वियतनाम से ले आया लेकिन भारत को अपने जांबाज सैनिकों की कोई परवाह नहीं है. भारत में सरकार बदली तो एक उम्मीद जगी थी. अब यह उम्मीद भी धूमिल हो रही है.
कौन है रीता बक्शी
सिख रेजिमेंट के कर्नल ओपी बक्शी 1960 में मैक्लुस्कीगंज स्थित ग्लोरिया विला नामक एक बंगला 10 हजार रुपये में खरीदे थे. इस बंगले में दो जर्मन बहनें रहती थीं. 1970 में सेना से रिटायर होने के बाद ओपी बक्शी अपनी पत्नी शांता बक्शी एवं दो बेटी नीता व रीता बक्शी और बेटा कमल बक्शी को लेकर मैक्लुस्कीगंज आ गये.
नीता की शादी कनाडा और रीता की शादी लंदन में हो गयी. कमल नैनीताल के सवरुट कॉलेज से पढ़ कर निकले थे. शांता बक्शी अपने सामाजिक गतिविधियों के कारण पूरे मैक्लुस्कीगंज में मशहूर थीं.
17 साल पहले कर्नल ओपी बक्शी और चार साल पहले शांता बक्शी का निधन हो गया. पिछले दस साल से रीता अपनी मां की पुण्यतिथि 31 मई को यहां मनाने आती हैं. उन्होंने यहां रह कर अपने भाई की तलाश करने और सामाजिक काम करने का मन बना लिया है.
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