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नजरूल संध्या में बंधे रह गये संगीतप्रेमी

लाइफ रिपोर्टर @ रांची रवींद्र गीतों का सुरीला आलाप और नजरूल गीत की खनक. बंगीय सांस्कृतिक परिषद, सेक्टर-दो धुर्वा में इन दोनों की युगलबंदी से सजी रवींद्र -नजरूल संध्या. बांग्ला साहित्य के इन दो कवियों की रचनाओं को कलाकारों ने अपने सुरों से कुछ इस तरह सजाया कि संगीतप्रेमी बंधे से रह गये. गीत-संगीत और […]

लाइफ रिपोर्टर @ रांची रवींद्र गीतों का सुरीला आलाप और नजरूल गीत की खनक. बंगीय सांस्कृतिक परिषद, सेक्टर-दो धुर्वा में इन दोनों की युगलबंदी से सजी रवींद्र -नजरूल संध्या. बांग्ला साहित्य के इन दो कवियों की रचनाओं को कलाकारों ने अपने सुरों से कुछ इस तरह सजाया कि संगीतप्रेमी बंधे से रह गये. गीत-संगीत और मनमोहक नृत्य को कला प्रेमियों ने भरपूर सराहा. कलाकारों ने बंगला में गीत प्रस्तुत किये. गीत के बोल अंजलि लोहो मोर….., गांगेर ज्वार एलो फीरे …… , युगल गीत में माया बनो बिहारनी….. खरो वायू गोय वेग …… . थे. गीत पल्लव चक्रवर्ती, सुभाषी मित्रा, मुनमुन घोष, मौसमी सेन गुप्ता, सोमा मुखर्जी ने प्रस्तुत किये.कार्यक्रम का आयोजन बंगीय सांस्कृतिक परिषद द्वारा किया गया. उदघाटन लेखक सुदिप्तो चक्रवर्ती ने किया. कवि गुरु रवींद्र नाथ व नजरूल के जीवन पर वक्ताओं ने विचार रखे. कवि गुरु द्वारा लिखे गये गीतों पर कलाकारों ने गीत व नृत्य पेश किया. मौके पर कमेटी के अध्यक्ष सुब्रोती बनर्जी, जेके सेन गुप्ता, एस राय, सजल बनर्जी, उत्तम घोष, उद्यन बासु उपस्थित थे. कार्यक्रम में सुभाशिष मित्रा को सम्मानित किया गया.

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