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झारखंड के विधायकों का वेतन छत्तीसगढ़ के विधायकों से दोगुना, 15 वर्ष में नौ बार बढ़ा विधायकों का वेतन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने अपने मंत्रियों का वेतन बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा है कि देश संकट में है, घाटे में है, इसलिए अगले पांच साल तक मंत्रियों का वेतन नहीं बढ़ेगा.इस कदम से पांच साल में चार मिलियन पाउंड की बचत होगी. एक तरफ दुनिया के ताकतवर देश ऐसे कठोर कदम […]

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने अपने मंत्रियों का वेतन बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा है कि देश संकट में है, घाटे में है, इसलिए अगले पांच साल तक मंत्रियों का वेतन नहीं बढ़ेगा.इस कदम से पांच साल में चार मिलियन पाउंड की बचत होगी. एक तरफ दुनिया के ताकतवर देश ऐसे कठोर कदम उठा रहे हैं, इसके ठीक विपरीत झारखंड में विधायक-मंत्री का वेतन लगातार बढ़ रहा है.
यहां के विधायक अब छत्तीसगढ़ (झारखंड के साथ ही बना था) के विधायकों से दोगुना वेतन पायेंगे. सुविधाएं अलग हैं. यह तब हो रहा है, जब झारखंड की बड़ी आबादी आज भी भरपेट खाना नहीं खा रही. क्या हमारे विधायक-मंत्री इस मुद्दे पर आत्ममंथन करेंगे और यह घोषणा करेंगे कि उन्हें बढ़ा हुआ वेतन नहीं चाहिए. सिर्फ उतना ही वेतन लेंगे, जितने में काम चल जायेगा.
रांची : पिछले 15 वर्षो में नौ बार झारखंड के विधायकों का वेतन बढ़ाया गया है. हाल ही में फिर वेतन बढ़ा है. अब स्थिति यह हो गयी है कि झारखंड के विधायकों को छत्तीसगढ़ के विधायकों से दोगुना से ज्यादा वेतन मिलेगा. छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भी झारखंड के साथ ही हुआ था. वहां के विधायकों का वेतन अभी लगभग 53 हजार है. हाल में झारखंड के विधायकों का जो वेतन बढ़ा है, उसके बाद उन्हें हर माह 1.20 लाख रुपये मिलेंगे.
दोनों राज्यों की तुलना करें तो स्थिति और साफ होती है. झारखंड के विधायक जितना वेतन पा रहे हैं, उतना वेतन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी नहीं मिलता है. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री को सिर्फ 93 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि झारखंड में विधायकों को 1.20 लाख. इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय भी झारखंड से अधिक है.
2001 में बनी थी नियमावली
झारखंड बनने के बाद वर्ष 2001 में विधायकों के वेतन को लेकर नियमावली बनायी गयी थी. इसी नियमावली के तहत बिहार विधानसभा की तर्ज पर विधायकों के वेतन और सुविधाओं का मापदंड तय किया गया था.
वर्ष 2001 में ही पहली बार विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी की गयी. इसके बाद विधानसभा में लगभग हर एक-डेढ़ वर्ष पर वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव आता रहा. इन प्रस्तावों पर समय-समय पर विधायकों के वेतन और सुविधाएं बढ़ती रहीं.
इस वर्ष नौ मई को फिर वेतन में बढ़ोतरी की गयी. इस नये संशोधन के बाद झारखंड के विधायक 1.20 लाख से ज्यादा वेतन पायेंगे. विधायकों को इसके अतिरिक्त सुविधाएं और भत्ते अलग से मिलेंगे. विधायकों को अगर सरकारी वाहन की सुविधा नहीं है, तो प्रतिदिन के हिसाब से एक हजार रुपये वाहन भत्ता अलग से मिलेगा.
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री व झारखंड के विधायक का वेतन भत्ता
मद मुख्यमंत्री विधायक
वेतन 30 हजार 30 हजार
क्षेत्रीय भत्ता 27 हजार 20 हजार
दैनिक/प्रभार भत्ता 36 हजार 75 हजार
सत्कार भत्ता 00.00 15 हजार
चिकित्सा भत्ता 00.00 05 हजार
झारखंड
वेतन – 30 हजार, क्षेत्रीय भत्ता- 20 हजार, सत्कार भत्ता- 15 हजार, प्रभार भत्ता – राज्य के अंदर 1500 रुपये, 2 हजार राज्य के बाहर, चिकित्सा भत्ता – 5 हजार
सुविधाएं
रेल कूपन – 3 लाख रुपये, मोबाइल-दूरभाष – एक लाख रुपये साल भर, उपस्कर : एक लाख रुपये एक बार रुपये मिलेगा, पांच हजार रुपये उसके रख-रखाव के लिए प्रति वर्ष, पोस्टल और स्टेशनरी – 10 हजार प्रतिमाह, समाचार पत्र-पत्रिका- 1 हजार रुपये प्रतिमाह, कंप्यूटर-लैपटॉप – 70 हजार रुपये एकबार मिलेंगे, निजी सहायक – 26 हजार रुपये प्रतिमाह, चपरासी -15 हजार रुपये प्रतिमाह
छत्तीसगढ़
वेतन -10 हजार, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता – 25 हजार, चिकित्सा भत्ता- 4500 रुपये, दैनिक भत्ता – 22500(750 रुपये प्रति दिन के हिसाब
सुविधाएं
दूरभाष : 3 हजार रुपया महीना, कूपन : 3 लाख (रेल-हवाई सेवा के लिए), गाड़ी के लिए लोन : 10 लाख रुपये, आवास ऋण – 15 लाख रुपये तक
कब-कब बढ़े वेतन
31. 03. 2001 मूल वेतन भत्ता विधेयक पारित
वेतन के लिए नियमावली बनी
21.12.2001 संशोधन (बढ़ोतरी)
26.08.2002 संशोधन (बढ़ोतरी)
10.09.2003 संशोधन (बढ़ोतरी)
21.12.2005 संशोधन (बढ़ोतरी)
24.08.2006 संशोधन(बढ़ोतरी)
18.12.2007 संशोधन(बढ़ोतरी)
27.03.2008 संशोधन(बढ़ोतरी)
03.09.2011 संशोधन(बढ़ोतरी)
01.1.2015 संशोधन (बढ़ोतरी)

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