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झारखंड में 10 वर्ष बाद लोगों को नहीं मिलेगा पानी

रांची : जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड में पानी की घोर किल्लत है. यही स्थिति रही, तो 10 वर्ष बाद लोगों को पानी नहीं मिलेगा. झारखंड में जितना पानी रि-चार्ज हो रहा है, उससे ज्यादा डी-चार्ज हो रहा है. उक्त बातें उन्होंने शुक्रवार को एयरपोर्ट पर कही. उन्होंने कहा कि राजस्थान में […]

रांची : जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड में पानी की घोर किल्लत है. यही स्थिति रही, तो 10 वर्ष बाद लोगों को पानी नहीं मिलेगा. झारखंड में जितना पानी रि-चार्ज हो रहा है, उससे ज्यादा डी-चार्ज हो रहा है. उक्त बातें उन्होंने शुक्रवार को एयरपोर्ट पर कही.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में पलामू, गढ़वा सहित अन्य इलाकों से तीन गुणा कम बारिश होती है, लेकिन वहां सिस्टम बना हुआ है. राजस्थान में 1200 गांव और सात नदियों को पुनर्जीवित किया गया है. झारखंड में अधिक बारिश होती है, लेकिन जल को संरक्षित करने के लिए कोई उपाय नहीं किये गये हैं. यहां फसल चक्र को वर्षा चक्र से नहीं जोड़ा गया है, जिस करण लोगों को परेशानी होती है. अगर ऐसा हो तो झारखंड में फसलों का चक्र बढ़ जायेगा. झारखंड में जल संरक्षण को लेकर सरकारी प्रबंधन नहीं के बराबर है.
उन्होंने कहा कि वर्षा का पानी ए श्रेणी में आता है, इसे सुरक्षित रखना होगा. दूसरा वह पानी जो मानव प्रयोग करते हैं, उस बी श्रेणी पानी को संरक्षित कर किसान सब्जी की खेती कर सकते हैं. तीसरी श्रेणी का पानी, जिसे मानव प्रयोग करते हैं या उसमें हलका रसायन होता है, उस पानी से गन्ना और फल की खेती में प्रयोग करने, चौथा श्रेणी जिस पानी में औद्योगिक रसायन होते हैं, उसका प्रयोग दोबारा उद्योग में करने से पानी को बचाया जा सकता है. श्री सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार को पानी संरक्षित कैसे किया जाये, इसके लिए योजना बनानी होगी, नियम बनाना होगा, अभी झारखंड में कोई कायदा-कानून नहीं है. अपनी-अपनी भूमिका सभी को समझनी होगी, तभी जल संकट नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पानी के लिए विश्व युद्ध शुरू हो चुका है.
इसकी शुरुआत गांव से हो गयी है. अभी यह छोटे स्तर पर है. समय रहते इसका निराकरण करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत ही विश्व में ऐसा देश है, जो इसका निराकरण कर सकता है. भारत में नीर-नारी और नदी का सम्मान होता है और इस संदेश को देश के महापुरुषों ने पूरे विश्व में फैलाया है.

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