जिनीवा. स्विट्जरलैंड के एक बिजनेस स्कूल की सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा क्षमता रिपोर्ट में भारत को 44वें पायदान पर रखा गया है. रिपोर्ट में भारत की निचली रैंकिंग के लिए ऊंची दर से कॉरपोरेट कर लगाया जाना तथा समानांतर अर्थव्यवस्था की मौजूदगी को जिम्मेदार ठहराया गया है. अमेरिका अपनी मजबूत कारोबारी क्षमता और वित्तीय क्षेत्र के बल पर लगातार शीर्ष पायदान पर बना हुआ है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आइएमडी) ने वर्ष 2015 के लिए जारी 61 देशों की प्रतिस्पर्द्धी क्षमता रैंकिंग में कहा कि अर्थव्यवस्था के संपूर्ण निष्पादन में भारत के 15 सबसे बड़े सुधारों में प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी वृद्धि, सरकार के निर्णय, पारदर्शिता, राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम, श्रम उत्पादकता आदि शामिल हैं. वहीं, 15 सबसे तेज गिरावट के क्षेत्रों में प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह, सरकारी बजट के अधिशेष घाटा, पेंशन कोष, खाद्य की लागत, शिष्य अध्यापक अनुपात (प्राथमिक शिक्षा), प्रदूषण की समस्याएं, विदेशी निवेशक व वास्तविक कॉरपोरेट दरें आदि हैं.
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प्रतिस्पर्द्धा क्षमता रैंकिंग में भारत 44वें स्थान पर
जिनीवा. स्विट्जरलैंड के एक बिजनेस स्कूल की सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा क्षमता रिपोर्ट में भारत को 44वें पायदान पर रखा गया है. रिपोर्ट में भारत की निचली रैंकिंग के लिए ऊंची दर से कॉरपोरेट कर लगाया जाना तथा समानांतर अर्थव्यवस्था की मौजूदगी को जिम्मेदार ठहराया गया है. अमेरिका अपनी मजबूत कारोबारी क्षमता और वित्तीय क्षेत्र के […]
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