रांची: आज-कल अधिकारी काम कम और बातें अधिक करते हैं. हर सेमिनार में ऐसी चर्चा होती रहती है कि हम ऐसा कर देंगे, हम ऐसा प्लान कर रहे हैं. परंतु धरातल में पर काम कुछ होता नहीं है. उक्त बातें नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने बुधवार को एटीआइ में कही. श्री सिंह एटीआइ में आयोजित शहर के नगर निकायों के कार्यो की समीक्षा कर रहे थे.
श्री सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले मेरे पास एक संचिका आयी. संचिका इतनी मोटी हो गयी थी कि उसे एक हाथ में उठाया नहीं जा सकता था. उस संचिका में देखा तो नगर निकायों द्वारा किये गये खर्चे पर नजर गयी, जिसमें किसी नगर निकाय ने पांच प्रतिशत तो किसी ने तीन प्रतिशत की राशि खर्च की थी. अब आप ही बताइए कि इतनी कम राशि के खर्च होने से विकास का काम कैसे होगा. श्री सिंह ने कहा कि नगर निकायों को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार पर्याप्त फंड देती है. परंतु निकाय के अधिकारी काम करने में रुचि नहीं लेते हैं. नतीजा राशि सरेंडर हो जाती है. इसलिए योजना जो भी बनाएं, वह धरातल पर उतरे, इसका ध्यान रखें.
मंत्री बुधवार को एटीआइ में सारे म्यूनिसिपल के कार्यपालक पदाधिकारी सहित अन्य के साथ नगर निकायों के कार्यो की समीक्षा कर रहे थे. मौके पर नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह भी उपस्थित थे.
घर जाकर करूंगा चेक
मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए राशि दी जा रही है. इसके तहत बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण दिया जाना है. परंतु ऐसी सूचना मिल रही है कि कागजों में ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसलिए मैं डेढ़ माह का समय दे रहा हूं. उसके बाद मैं फिल्ड विजिट पर निकलूंगा. उसके बाद प्रशिक्षणार्थियों के घर तक जाकर चेक करूंगा. आखिर उसने प्रशिक्षण लिया है या नहीं. गड़बड़ी पायी गयी तो तत्काल संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई की जायेगी.
दो महीने में टूट रही है सड़क
श्री सिंह ने अभियंताओं से पूछा कि एक पीसीसी सड़क की औसत लाइफ कितनी होती है. इस पर एक अभियंता ने कहा कि एक सड़क पर अगर भारी वाहन न चले तो वह कम से कम पांच साल तक चलेगी. इस पर मंत्री ने कहा कि राजधानी में ऐसे गली मोहल्ले हैं, जहां दो -दो माह में पीसीसी सड़क टूट रही हैं. ये वे सड़कें हैं जिनमें कोई भारी वाहन भी नहीं चलता है. जब कार्रवाई की बात आती है तो केवल ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है, परंतु अब ऐसा नहीं चलेगा. अब ठेकेदार के साथ साथ उस अभियंता पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, जो संबंधित सड़क निर्माण की मॉनीटरिंग करता है.
मौके पर नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि बहुत से निकायों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने सभी को 15 दिनों के अंदर उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का निर्देश दिया, ताकि जून तक योजनाओं का स्वीकृत्यादेश जारी हो सके. वहीं यह भी निर्देश दिया गया कि बजट की राशि केवल नयी योजनाओं पर ही नहीं, बल्कि पुरानी चालू योजनाओं पर भी खर्च की जाये. अफसरों से कहा गया कि 14 वें वित्त आयोग में राज्य को 2000 करोड़ रुपये मिलने हैं.
ऐसे में योजनाओं का चयन जल्द कर लिया जाये. कार्यपालक पदाधिकारियों से समय से योजना लेने व उसका क्रियान्वयन भी समय से कराने को कहा गया है. इसके साथ ही शहर में उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाएं टाउन हॉल, लेक आदि का सुंदरीकरण कराने को कहा गया है.