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डीएपी का कोटा घटा

रांची: डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कम होने का असर किसानों पर भी पड़ने लगा है. केंद्र सरकार ने किसानों को कम डीएपी खाद उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इस वर्ष झारखंड में रबी की फसल के लिए मात्र 40 हजार टन डीएपी देने का निर्णय लिया गया है, जबकि पिछले वर्ष 43 […]

रांची: डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कम होने का असर किसानों पर भी पड़ने लगा है. केंद्र सरकार ने किसानों को कम डीएपी खाद उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इस वर्ष झारखंड में रबी की फसल के लिए मात्र 40 हजार टन डीएपी देने का निर्णय लिया गया है, जबकि पिछले वर्ष 43 हजार टन दिया गया था. राज्यों को इसके विकल्प का उपयोग कर काम करने का आदेश दिया गया है. पांच सितंबर को दिल्ली में हुई राज्यस्तरीय रबी कार्यशाला में भारत सरकार ने सभी राज्यों में रबी की फसल के लिए खाद के आवंटन पर अंतिम मुहर लगायी. इसमें बताया गया कि डीएपी विदेशों से मंगाया जाता है. भुगतान डॉलर में करना पड़ता है. डीएपी की खपत कम करने से देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने में सहयोग मिल सकता है.

40000 टन डीएपी मिलेगी
राज्य को रबी मौसम में 75 हजार टन एसएसपी खाद दी जायेगी. मात्र 40 हजार टन डीएपी देने का निर्णय लिया गया है, जो पिछले वर्ष 43 हजार टन मिली थी. इसके अतिरिक्त 40 हजार टन एनपीके दी जायेगी. 10 हजार टन एमओपी देने का निर्णय लिया गया है.

खपत बढ़ाने का निर्देश
दिल्ली में हुई बैठक में झारखंड के अफसरों को राज्य में बायो फर्टिलाइजर की खपत बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. यूरिया की खपत भी बढ़ाने को कहा गया है. राज्य में खपत भारतीय औसत से काफी कम है. डीएपी की खपत कम करने के लिए व्यापक योजना पर काम करने को कहा गया है.

क्या हुआ असर : भारत सरकार ने रुपये की कीमत गिरने से पहले डीएपी की कीमत को कम करने का फैसला लिया था. 475 रुपये (25 किलो के बैग) के आसपास प्रति बैग कीमत रखने पर सहमति बनी थी. लेकिन, रुपये का मूल्य गिरने से इसकी कीमत 500 रुपये से अधिक हो गयी है. जुलाई 2013 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमत प्रति टन 456 डॉलर के आसपास थी. देश में जुलाई माह तक डीएपी की कीमत 460 रुपये प्रति बैग के आसपास थी. अभी इसका बेस प्राइस 520 डॉलर प्रति टन के आसपास हो गया है. इसका व्यापक असर किसानों पर भी पड़ेगा.

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