रांचीः राज्य में वित्त रहित शिक्षक संस्थानों को अनुदान वितरण में नियमावली की अनदेखी हो रही है. स्कूल-कॉलेजों को आवर्ती (शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी के वेतन) व अनावर्ती (स्कूल-कॉलेजों के संसाधन) मद में अनुदान की राशि का सही वितरण नहीं हो रहा है.
इसके कारण कई कॉलेजों में शिक्षकों को नियम के अनुरूप मानदेय नहीं मिलता है. शिक्षक संघ लगातार इन दोनों मद के लिए अलग-अलग राशि देने की मांग कर रहा है. सरकार कॉलेजों को केवल आवर्ती मद में अनुदान देती है. शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन मद के अनुदान से ही प्रबंधन अनावर्ती मद में खर्च करता है.
संघ का कहना है कि कई कॉलेजों में अनुदान राशि का 70 से 80 फीसदी तक प्रबंधन रख लेता है. विभाग द्वारा कॉलेजों को इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया गया है. झारखंड इंटर कॉलेज शिक्षक संघ का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन अनुदान राशि के वितरण में मनमानी करता है.
छात्र की संख्या पर अनुदान
सूचना के अधिकार से मांगी गयी जानकारी में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा बताया गया कि अनुदान समिति की बैठक में अनुदान नियमावली के अनुरूप अनुदान देने के लिए निर्धारित राशि से अधिक राशि की आवश्यकता महसूस की गयी. इस कारण नियमावली की धारा नौ व दस के अनुरूप अनुदान नहीं दिया गया. कॉलेजों को छात्र संख्या के आधार पर अनुदान देने का निर्णय लिया गया.