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नियमितीकरण चाहते हैं वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट कर्मी
रांची : विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग के तहत विभिन्न राजकीय पॉलिटेक्निक में 1996-97 से कार्यरत कुल 81 कर्मियों ने मुख्यमंत्री से न्याय की मांग की है. गत करीब 20 वर्षो से पॉलिटेक्निक में कार्यरत कुल नौ शिक्षकों व 71 शिक्षकेतर कर्मियों को अब तक नियमित नहीं किया गया है. जबकि इस संबंध में कार्मिक सहित […]
रांची : विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग के तहत विभिन्न राजकीय पॉलिटेक्निक में 1996-97 से कार्यरत कुल 81 कर्मियों ने मुख्यमंत्री से न्याय की मांग की है. गत करीब 20 वर्षो से पॉलिटेक्निक में कार्यरत कुल नौ शिक्षकों व 71 शिक्षकेतर कर्मियों को अब तक नियमित नहीं किया गया है.
जबकि इस संबंध में कार्मिक सहित पूर्व महाधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने भी इस पर सहमति व्यक्त की थी.तत्कालीन बिहार में पॉलिटेक्निक में पठन-पाठन कार्य के सुदृढ़ीकरण कार्य के लिए विश्व बैंक संपोषित प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. उक्त लोग भी इसमें बहाल किये गये थे. इन कर्मियों के संबंध में बिहार सरकार ने एक संकल्प पारित किया था कि प्रोजेक्ट की अवधि समाप्त होने के बाद भी इनकी सेवा जारी रहेगी.
वर्ष 1996-97 में प्रोजेक्ट के शुरू होने के एक साल बाद ही प्रोजेक्ट बिहार सरकार को हैंडओवर कर दिया गया था. तब से ये सेवा में तो बने हुए हैं, लेकिन इन्हें सेवा विस्तार की जरूरत होती है. इस प्रक्रिया में कई बार इन कर्मियों को वर्षो वेतन भुगतान नहीं हो सका है.
उक्त प्रोजेक्ट के तहत झारखंड में कार्यरत इन कर्मियों ने मांग की है कि सरकार उन्हें नियमित करे. राजकीय पॉलिटेक्निक रांची में 11 तथा महिला पॉलिटेक्निक रांची में कुल 12 कर्मी कार्यरत हैं. सबसे अधिक लोग लातेहार पॉलिटेक्निक में हैं. शेष अन्य अलग-अलग राजकीय पॉलिटेक्निक में कार्यरत हैं. वहां एक तरह से विश्व बैंक प्रोजेक्ट कर्मी ही संस्थान चला रहे हैं.
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