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चिटफंड कंपनी मामले में आरबीआइ गवर्नर ने सभी राज्यों के वित्त सचिवों को बुलाया

रांची : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने चिट फंड घोटाले के मामले को गंभीरता से लेते बैठक बुलायी है. आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में 25 मई को दिल्ली में होनेवाली इस बैठक में सभी राज्यों के वित्त सचिव और सेबी के अधिकारी शामिल होंगे. वित्त सचिव अमित खरे इस बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व […]

रांची : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने चिट फंड घोटाले के मामले को गंभीरता से लेते बैठक बुलायी है. आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में 25 मई को दिल्ली में होनेवाली इस बैठक में सभी राज्यों के वित्त सचिव और सेबी के अधिकारी शामिल होंगे.
वित्त सचिव अमित खरे इस बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे. राज्य में फिलहाल 104 नन बैंकिंग कंपनियों के सक्रिय होने की सूचना है.
आरबीआइ गवर्नर डॉक्टर रघुराम राजन की अध्यक्षता में होनेवाली इस बैठक की प्रथम पाली में नन बैंकिंग कंपनियों द्वारा लोगों को लालच देकर ठगने और फरार होने की घटनाओं से पैदा हुई समस्याओं पर विचार किया जायेगा. साथ की इस तरह की घटनाओं की रोकथाम और धोखाधड़ी करने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श किया जायेगा.
नन बैंकिंग कंपनियों पर नियंत्रण का अधिकार सेबी के पास है. आरबीआइ के पास इनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. जिन राज्यों में नन बैंकिंग कंपनियों द्वारा ठगी की जाती है, उन राज्यों द्वारा कार्रवाई करने पर नन बैंकिंग कंपनियां सेबी के नियमों परिनियमों का हवाला देकर कार्रवाई को बाधित करती हैं.
इन परिस्थितियों के मद्देनजर आरबीआइ सेबी और राज्य सरकारों के विचार-विमर्श कर ऐसा तरीका निकालना चाहती है, जिससे नन बैंकिंग कंपनियां लोगों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर सके. धोखाधड़ी करने की स्थिति में राज्य सरकार उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर सके.
वित्त सचिव अमित खरे के अनुसार राज्य में 104 नन बैंकिंग कंपनियों के सक्रिय होने की सूचना है. इनमें से 28 के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में सक्रिय नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ अदालत के आदेश के आलोक में सीबीआइ जांच चल रही है.
झारखंड हाइकोर्ट ने भी यहां सक्रिय नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ सीबीआइ जांच का आदेश दिया है. आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में होनेवाली इस बैठक की दूसरी पाली में केंद्र और राज्यों के बीच केंद्र प्रायोजित योजनाओं की फंडिंग पैटर्न पर विचार-विमर्श किया जायेगा.
केंद्र सरकार का कहना है कि उसने 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए केंद्रीय करों में 42 प्रतिशत की भागीदारी राज्यों को दे दी है, इसलिए राज्य अब केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पहले के मुकाबले अपने हिस्से से अधिक धन लगाये. दूसरी तरफ राज्यों का यह तर्क है कि 14 वें आयोग की अनुशंसा में मिलनेवाला धन उनका अधिकार है.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पहले से जो फंडिंग पैटर्न लागू है उसे की लागू रखा जायेगा अन्यथा राज्यों को कोई लाभ नहीं होगा. झारखंड सरकार भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पहले के जैसा की फंडिंग पैटर्न जारी रखने के पक्षमें है.

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