शकील अख्तर/आनंद मोहन
रांची : सहायक अभियंता मनोज कुमार को आइएएस बनाने की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. कार्मिक विभाग ने अपनी ही शर्तो का उल्लंघन कर तय समय के एक सप्ताह बाद मनोज कुमार के लिए जारी किये गये स्पेशल सीआर को स्वीकार कर लिया.
इससे पहले जल संसाधन विभाग की चयन समिति ने कार्मिक के निर्देश को नजरअंदाज करते हुए खामियों से भरे मनोज कुमार के स्पेशल सीआर के आधार पर उन्हें आइएएस में चयन के सहारे नियुक्त करने की अनुशंसा की. बिहार सरकार ने इस अधिकारी की सेवा भी संपुष्ट नहीं की थी. मनोज कुमार की सेवा झारखंड सरकार में संपुष्ट हुई.
कार्मिक विभाग ने 2013-14 में गैर प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों को आइएएस में नियुक्त करने के लिए उनके नामों की अनुशंसा करने को लेकर आदेश(पत्रंक-1/सी-205/2014 का0-3915) जारी किया था.
इसमें आवेदकों के 10 साल के पूर्ण चारित्री (एसीआर) पर विचार करने का निर्देश दिया गया था. विभागीय चयन समिति को 20 मई 2014 तक नामों की अनुशंसा करनी थी. निर्धारित समय के बाद अनुशंसा पर विचार नहीं करने की शर्त थी. इस पत्र के आलोक में जल संसाधन विभाग के तत्कालीन सचिव अविनाश कुमार की अध्यक्षता में 20 मई को विभागीय चयन समिति की बैठक हुई.
बैठक में उद्योग विभाग के अपर सचिव बालेंदु भूषण आनंदमूर्ति और जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख अरविंद कुमार भी शामिल हुए. बैठक में तत्कालीन सहायक अभियंता मनोज कुमार के काम-काज, गुण-दोष आदि के सिलसिले में 10 के बदले नौ साल का ही ब्योरा पेश किया गया था. 2004-05 से 2008-09 तक के लिए नियमित के बदले एक ही पेज का स्पेशल सीआर बैठक में रखा गया. वर्ष 2009-10, 2010-11 और 2013-14 के लिए सीआर पेश किया गया.
2011-12 का एसीआर या स्पेशल सीआर कुछ भी नहीं था. जबकि 2012-13 के लिए आठ माह चार दिन का नियमित एसीआर पेश किया गया. चयन समिति ने विचार के दौरान आठ माह चार दिन के एसीआर को अपूर्ण माना. इस तरह समिति ने 10 के बदले सिर्फ आठ वर्षो के गुण-दोष पर विचार किया. इस क्रम में चयन समिति ने कार्मिक के निर्देश का उल्लंघन किया.
कार्मिक ने यह निर्देश दिया था कि जिस अधिकारी के नाम की अनुशंसा आइएएस में चयन के लिए की जानी हो, उसके 10 साल के पूर्ण गोपनीय चारित्री रिपोर्टिग, रिव्यूइंग और एक्सेप्टिंग अथॉरिटी द्वारा लिखी होनी चाहिए. चयन समिति ने मनोज कुमार के तीन साल के एसीआर और पांच साल के स्पेशल सीआर पर विचार के बाद उनके नाम की अनुशंसा कर दी.
समिति ने स्पेशल सीआर की खामियों को नजरअंदाज किया. जल संसाधन विभाग की ओर से कार्मिक को अनुशंसा भेजे जाने के बाद उसके 10 साल का हिसाब-किताब पूरा करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके लिए 27 मई को संयुक्त सचिव सीता कांत झा और विभागीय सचिव अविनाश कुमार के हस्ताक्षर से दो साल (2011-13) का स्पेशल सीआर जारी किया गया.
एक सप्ताह बाद बनाये गये इस स्पेशल सीआर को कार्मिक सचिव संतोष शतपथी ने अपरिहार्य कारणों से अपनी ही शर्तो का उल्लंघन करते हुए स्वीकार किया. साथ ही मनोज कुमार के दोनों ही स्पेशल सीआर की खामियों को नजर अंदाज करते हुए लोक सेवा आयोग से मनोज कुमार को आइएएस में नियुक्त करने की अनुशंसा की.
कंट्रोलिंग अफसर के रहते ही स्पेशल सीआर बना
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को चयन के सहारे आइएएस नियुक्त करने की प्रक्रिया के दौरान सिर्फ पांच साल के काम-काज और गुण-दोष से संबंधित दस्तावेज को आधार बनाया था. यूपीएससी की चयन समिति ने 2013-14 की रिक्तियों को भरने के लिए वर्ष 2008-09 से 2012-13 के गोपनीय चारित्री को आधार बनाया. इन पांच वर्षो में से मनोज कुमार के तीन वर्ष का स्पेशल सीआर था. सिर्फ दो वर्ष का ही नियमित एसीआर था.
जल संसाधन विभाग की चयन समिति ने 2011-12 और 2012-13 का सीआर उपलब्ध नहीं होने की वजह से उन्हें शून्य अंक दिया था. मनोज कुमार 2011-12 और 2012-13 में जल संसाधन विभाग के मुख्यालय में ही पदस्थापित थे. इस अवधि में उन्होंने जिन अधिकारियों के अधीन काम किया, सभी विभाग में कार्यरत थे.
इसके बावजूद मनोज के नाम 27 मई 2015 को इन्हीं दो वर्षो का स्पेशल सीआर बनाया गया, जो सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुरूप नहीं था. अगर बाद में इस स्पेशल सीआर को यूपीएससी के पास नहीं भेजा जाता तो मनोज कुमार का आइएएस में नियुक्त होना संभव नहीं था.