रांची: कोल कंपनियों पर सरकारी भूमि अधिग्रहण के एवज में लीज रेंट व लगान आदि के तीन हजार करोड़ रुपये भुगतान की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश व सार्वजनिक उपक्रमों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि कोल इंडिया पहले बकाया तीन हजार करोड़ रुपये का भुगतान करे, अन्यथा सरकार कड़ा कदम उठायेगी.
उन्होंने कहा कि झारखंड छोटा राज्य है. यहां वर्षो से कोल इंडिया, सीसीएल, बीसीसीएल, सेल व एनटीपीसी जैसी कंपनियां काम कर रही है. कोल कंपनियों द्वारा राज्य में 24 हजार एकड़ सरकारी जमीन ली गयी है. निजी जमीन के लिए तो मुआवजे का भुगतान किया गया है, पर बड़े पैमाने पर ली गयी सरकारी जमीन के बदले में क्या मिलता है. वर्षो से बकाये राशि का भुगतान नहीं किया गया है. ब्याज की दर जोड़ दी जाये, तो यह राशि 10 हजार करोड़ से अधिक हो जायेगी. सीएम ने कहा : इस राशि पर राज्य का हक है, फिर भुगतान क्यों नहीं हो रहा है. इस राशि से राज्य में कई बड़े विकास के कार्य हो सकते हैं. 50 हजार लोगों को तत्काल लाभ दिया जा सकता है. बैठक में मुख्य सचिव आरएस शर्मा, कोल इंडिया चेयरमैन एस नरसिंह राव, समेत सीसीएल, बीसीसीएल, एनटीपीसी व सेल के अधिकारी भी मौजूद थे.सीएम ने सीएसआर कार्यो पर भी सार्वजनिक उपक्रमों पर नाराजगी जतायी.
कोल इंडिया पर बरसे : बैठक में मुख्यमंत्री कोल इंडिया पर बरस पड़े. सीएम ने कहा कि यहां वर्षो से सार्वजनिक उपक्रम चल रहे हैं, पर झारखंड को जो मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. कोल इंडिया के पास राज्य सरकार की 24 हजार एकड़ जमीन है, लेकिन आज तक मुआवजा या रेंट नहीं दिया गया है. कोल वाशरी से प्रदूषण हो रहा है.
दामोदर नदी प्रदूषित हो चुकी है. सीएसआर की गतिविधि बेहतर नहीं है. हेमंत ने कहा कि कोल इंडिया को 30 वर्षो के लिए लीज पर जमीन दी गयी थी. वर्ष 2002 से लीज का नवीकरण नहीं हुआ है. इसके बावजूद खनन जारी है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी राशि दिलाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात करने का आश्वासन दिया है. कोल इंडिया के चेयरमैन ने भी कहा है कि राशि के लिए वह प्रयास करेंगे.