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वट सावित्री पूजा 17 को
रांची : वट सावित्री पूजा 17 मई रविवार को है. इस बार अमावस्या दो दिन पड़ रही है. पहला दिन व्रत की अमावस्या है और दूसरे दिन स्नान दान की अमावस्या है. दूसरे दिन सोमवार को अमावस्या पड़ने के कारण इसकी महत्ता बढ़ गयी है. इसे सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. […]
रांची : वट सावित्री पूजा 17 मई रविवार को है. इस बार अमावस्या दो दिन पड़ रही है. पहला दिन व्रत की अमावस्या है और दूसरे दिन स्नान दान की अमावस्या है. दूसरे दिन सोमवार को अमावस्या पड़ने के कारण इसकी महत्ता बढ़ गयी है. इसे सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
डॉ सुनील बर्मन व पंडित कपिलदेव मिश्र ने कहा कि शास्त्र में ऐसी बातें आयी है कि जब अमावस्या दो दिन मिल रही है, तो जिस दिन शाम में अमावस्या मिल रही है, उसी दिन इस व्रत करने का विधान है. जो लोग सोमवार की अमावस्या का व्रत करते हैं, वे सोमवार को इसका व्रत करेंगे. रविवार को दिन के 10.54 बजे से अमावस्या लग जायेगी, जो सोमवार को दिन के 9.14 बजे तक रहेगी.
पहले दिन व्रत की अमावस्या रहने के कारण इसी दिन व्रत रखा जायेगा. इस दिन सौभाग्यवती महिला अपने अखंड सुहाग की रक्षा के लिए व्रत रखेंगी और वट वृक्ष के नीचे जाकर पूजा-अर्चना करेंगी. वट वृक्ष में कच्च सूत बांध कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करेंगी. वहीं, सोमवार को स्नान दान की अमावस्या है. इस दिन प्रात: स्नान दान कर पारण किया जायेगा.
महिलाओं ने व्रत को लेकर तैयारी शुरू कर दी हैं. इसके लिए साड़ी से लेकर पूजन सामग्री, पंखा सहित अन्य सामानों की खरीदारी कर रही हैं. बाजार में बांस के कई तरह के रंग-बिरंगे पंखे बिक रहे हैं.
वहीं, नव विवाहितों के घरों में इसकी विशेष तैयारी की जा रही है. कई जगहों पर कुमारी कन्या भी अच्छे पति की कामना के साथ यह व्रत रखती है. वहीं दक्षिण भारत में महिलाएं पूर्णिमा को यह व्रत रखती हैं.
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