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डीटीओ साहब, कब हटेंगी पुरानी बसें !

25 अप्रैल के बाद 15 साल पुरानी स्कूल बसों के खिलाफ होनी थी कार्रवाई डीटीओ ने नोटिस देकर ही निभा दी जिम्मेवारी उपायुक्त ने गत माह बैठक में दिया था निर्देश स्कूलों ने नहीं हटायी 15 वर्ष पुरानी बसें रांची : राजधानी में 15 वर्ष पुरानी स्कूल बसों के परिचालन पर रोक नहीं लग पायी […]

25 अप्रैल के बाद 15 साल पुरानी स्कूल बसों के खिलाफ होनी थी कार्रवाई
डीटीओ ने नोटिस देकर ही निभा दी जिम्मेवारी
उपायुक्त ने गत माह बैठक में दिया था निर्देश
स्कूलों ने नहीं हटायी 15 वर्ष पुरानी बसें
रांची : राजधानी में 15 वर्ष पुरानी स्कूल बसों के परिचालन पर रोक नहीं लग पायी है. जिला प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन को गत माह 15 वर्ष पुरानी स्कूल बसों को हटाने का नोटिस दिया था. स्कूल प्राचार्यो के साथ गत माह हुई उपायुक्त की बैठक में ही सभी स्कूल प्रबंधन को पुरानी बसें हटाने के लिए कहा गया था. इस संबंध में जिला परिवहन पदाधिकारी की ओर से भी स्कूलों को नोटिस दिया गया. 25 अप्रैल तक इन बसों को हटाने का अंतिम समय दिया गया था.
26 अप्रैल से ऐसी बसों को जब्त करने की बात कही गयी थी. जिला परिवहन पदाधिकारी नोटिस देकर अपना काम पूरा समझ लेते हैं. यहीं कारण है कि स्कूल भी नोटिस को गंभीरता से नहीं लेते.
इससे पूर्व भी स्कूलों को 15 वर्ष पुरानी बसें हटाने को कहा गया था, पर उस समय भी निर्देश नहीं माना गया. उपायुक्त के निर्देश के बावजूद अधिकतर स्कूलों ने पुरानी बसें हटाने के संबंध अब तक कोई पहल नहीं की है. कई स्कूलों में तो 25 से 30 वर्ष पुरानी बसें चलायी जा रही हैं.
स्कूलों में चलनेवाली अधिकांश बसें ठेका पर चलती हैं. इनमें से अधिकांश बसों की स्थिति ठीक नहीं है. ये वैसी बसें हैं, जो लंबी दूरी के परिचालन में रिजेक्ट हो गयी थीं. स्कूल बसों की जब भी जांच की गयी, कुछ न कुछ गड़बड़ी जरूर पायी गयी.
टैक्स में छूट का हिसाब तक नहीं देते : स्कूल के नाम से निबंधित बस के लिए एडिशनल टैक्स में 50 फीसदी छूट मिलती है. छूट इस शर्त के साथ दी जाती है किवे इसका लाभ बच्चों को देंगे. पर अधिकतर स्कूल इसका लाभ बच्चों को नहीं देते, और न ही इसका हिसाब देते हैं.
नहीं चला सकते सवारी बस
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप स्कूलों में सवारी बसों का परिचालन नहीं किया जा सकता. स्कूल में चलने वाली बसों की सीट से लेकर अन्य मापदंड अलग से निर्धारित किया गया है. स्कूल बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे सेल्फ होना चाहिए. राजधानी के अधिकांश स्कूल बसों की सीट सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं है. टू बाई टू बस में छोटे बच्चों को बैठने में काफी परेशानी होती है. बच्चों को बस पर चढ़ने में भी असुविधा होती है.
कुछ पुरानी स्कूल बसें
70 दशक की बसें : बीएचएन 5264,बीएचएन 6490,बीएचएन 9332, बीएचएन 8586
80 की दशक की बसें : बीपीएन 5281, बीआइएन 9482, बीपीवाई 9105, बीपीएन 8768, बीएचवी 8967, बीपीवाइ 9718, बीएचएफ 9616.

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