इसमें उन्होंने जानना चाहा था कि क्या सरकार देश की प्रतिष्ठित सिंदरी और बरौनी कारखाने को शुरू करने पर विचार कर रही है? क्या इसके लिए कोई समयबद्ध कार्यक्रम तैयार किया गया है? क्या सरकार के पास सिंदरी उर्वरक कारखाने के लिए निविदा प्रक्रिया अपनाने या इसे किसी सार्वजनिक उद्यम को नामांकन पर देने का प्रस्ताव है ? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय रासायन और उर्वरक मंत्रलय के राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने जानकारी दी कि 2002 में एफसीआइएल और एचएफसीएल ने सभी उर्वरक इकाइयों को बंद करने का निर्णय लिया था. इसमें सिंदरी और बरौनी की इकाई भी शामिल थी. इनके पास बड़ी मात्र में आधारभूत संरचना है. 2007 में भारत सरकार के आर्थिक मामलों के मंत्रलय ने दोनों इकाइयों के पुनरुद्धार की व्यवहार्यता जांच करने के लिए सैद्धांतिक सहमति जतायी थी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मार्च 2015 को बरौनी इकाई का पुनरुद्धार पट्टा के आधार पर बोली मार्ग से करने का अनुमोदन किया है. चूंकि सेल ने सिंदरी के विस्तार की योजना तैयार की है, अत: सेल ने पुनरुद्धार को आगे नहीं बढ़ाने का विचार किया है. अभी इस क्षेत्र में अनुभव रखनेवाली किसी भी पीएसयू या सहकारी समितियां पुनरुद्धार के लिए फ्री नहीं है. इस कारण सिंदरी का नामांकन के आधार पर पुनरुद्धार संभव नहीं है. सरकार ने तय किया है कि पुनरुद्धार की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए बोली मार्ग अपनायेगी.