नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में 2007 में 22 वर्षीय बीपीओ कर्मचारी से बलात्कार कर उसकी हत्या करने के जुर्म में कैब चालक और उसके मित्र की मौत की सजा बरकरार रखी है. चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दोषी पुरुषोत्तम बोराटे और उसके मित्र प्रदीप कोकटे की अपील खारिज कर दी. उच्च न्यायालय ने इन दोनों को 2012 में मौत की सजा सुनायी थी. शीर्ष अदालत ने इन दोनों को समाज के लिए खतरा बताते हुए कहा कि उनका कृत्य ‘बिरले में भी बिरलतम’ की श्रेणी में आता है जिसके लिए मौत की सजा के सिवाय और कुछ नहीं हो सकता है. न्यायालय ने कहा कि इस अपराध ने समाज की अंतरात्मा को इतना झकझो कर रख दिया है कि दोनों मुजरिमों को वैकल्पिक सजा (उम्र कैद) देने से न्याय नहीं होगा. महिलाओं के प्रति निरंतर बढ़ते अपराध पर चिंता व्यक्त करते हुये न्यायालय ने कहा कि समाज को अराजकता ने जकड़ रखा है जो सामाजिक व्यवस्था को गंभीर रूप से कमतर कर रही है.
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बलात्कार व हत्या के मामले में दो की मौत की सजा बरकरार
नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में 2007 में 22 वर्षीय बीपीओ कर्मचारी से बलात्कार कर उसकी हत्या करने के जुर्म में कैब चालक और उसके मित्र की मौत की सजा बरकरार रखी है. चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दोषी पुरुषोत्तम बोराटे और […]
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