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महुआ पर नियंत्रण का प्रस्ताव खारिज
विवेक चंद्र रांची : झारखंड में महुआ व्यवसाय को नियंत्रित करने और इसके लिए लाइसेंस अनिवार्य करने संबंधी प्रस्ताव को राज्य सरकार ने लौटा दिया था. उत्पाद विभाग द्वारा दिये गये झारखंड उत्पाद (महुआ फूल) नियंत्रण नियमावली 2015 को सरकार ने सहमति नहीं दी. विभाग को बताया गया कि महुआ मादक पदार्थ नहीं है. महुआ […]
विवेक चंद्र
रांची : झारखंड में महुआ व्यवसाय को नियंत्रित करने और इसके लिए लाइसेंस अनिवार्य करने संबंधी प्रस्ताव को राज्य सरकार ने लौटा दिया था. उत्पाद विभाग द्वारा दिये गये झारखंड उत्पाद (महुआ फूल) नियंत्रण नियमावली 2015 को सरकार ने सहमति नहीं दी.
विभाग को बताया गया कि महुआ मादक पदार्थ नहीं है. महुआ के कई इस्तेमाल हैं. महुआ से बननेवाली शराब मादक पदार्थ की श्रेणी में आती है. उत्पाद विभाग को इसे नियंत्रित करने पर काम करना चाहिए. उत्पाद विभाग ने कैबिनेट की सहमति के लिए संबंधित प्रस्ताव भेजा था, जिसे सरकार ने नकार दिया.
महुआ पर केंद्रित है राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था : झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़े तबके की अर्थव्यवस्था महुआ के व्यापार पर केंद्रित है. महुआ चुन कर उसे सुखाना, बेचना व चुआने का धंधा कई गांवों में होता है. हजारों लोग महुआ व्यापार से जुड़े हैं.
उत्पाद विभाग का अनुमान है कि केवल रांची में महुआ चुआ कर हर साल 2.44 करोड़ एलपी लीटर शराब का उत्पादन किया जाता है. हालांकि उत्पाद विभाग द्वारा तैयार की गयी नियमावली में महुआ से बननेवाली शराब पर टैक्स लगाने की कोई बात नहीं कही गयी थी. सिर्फ महुआ की खरीद- बिक्री पर नियंत्रण की बात कही गयी थी.
.. तो अवैध होता भंडारण
उत्पाद विभाग ने महुआ रखने की सीमा एक घर में 15 किग्रा तय की थी. इसे कैबिनेट की स्वीकृति मिलती, तो राज्य के किसी घर में 15 किलो से अधिक महुआ का भंडारण अवैध माना जाता.
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