रांची: इटकी तिलकसूती बीज प्रसंस्करण इकाई के निर्माण का प्राक्कलन दिल्ली के शिडय़ूल रेट पर तैयार किया गया है. इकाई के लिए 63.55 लाख रुपये की मशीन बगैर जांच के खरीदी गयी है. साथ ही एक काम के लिए कई मद से पैसे दिये गये हैं और ठेकेदार को काम से ज्यादा का भुगतान किया गया है. योजना का शिलान्यास राज्यपाल से कराया गया था. सरकार द्वारा करायी गयी जांच में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार इटकी तिलकसूती बीज प्रसंस्करण इकाई का बीओक्यू बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के उपनिदेशक पीसी कुमार ने अनुमोदित किया था. वह पशुपालन विभाग में कार्यपालक अभियंता के अतिरिक्त प्रभार में हैं. नियमानुसार कार्यपालक अभियंता स्तर के अधिकारी को 1.39 करोड़ रुपये का बीओक्यू अनुमोदित करने का अधिकार नहीं है. सिर्फ इतना ही नहीं इस योजना का प्राक्कलन दिल्ली के शिडय़ूल रेट पर तैयार किया गया. राज्य में किसी तरह के निर्माण का प्राक्कलन झारखंड सरकार द्वारा निर्धारित शिडय़ूल रेट पर ही बनाया जा सकता है.
निर्माण कार्य के लिए सूचना जनसंपर्क विभाग के माध्यम से टेंडर नहीं प्रकाशित किया गया. साथ ही एइ ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जार कर टेंडर का निबटारा किया. उस समय तक लागू नियम के तहत एइ को 10 लाख रुपये तक का ही टेंडर निबटाने का अधिकार था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीज प्रसंस्करण इकाई के कई छोटे-छोटे कार्यों के लिए एक से अधिक मदों से पैसा दिया गया. कृषि विभाग ने नवंबर 2012 में इस इकाई में आधारभूत संरचना के लिए 44.12 लाख रुपये की छोटी छोटी योजनाएं स्वीकृत की थी.
इनमें चहारदीवारी के लिए 11.02 लाख, बिजली के काम के लिए 20 लाख ,सड़क के लिए 9.48 लाख की योजना सहित और कई तरह के काम थे. जांच में पाया गया कि नेशनल वेजिटेबल इनीशियेटिव मद से सड़क निर्माण के लिए 13.97 लाख व चहारदीवारी के लिए 13.60 लाख का भुगतान किया जा चुका था. बिजली से जुड़े काम की जांच में पाया कि ठेकेदार ने 10.22 लाख का काम किया है. पर, उसके काम को 11.82 लाख का बता कर भुगतान किया गया है. बीज प्रसंस्करण के लिए 63.55 लाख की मशीन खरीदी गयी. यांत्रिक पदाधिकारी को ना तो इससे जुड़े टेंडर में रखा गया, ना ही मशीन की जांच करायी गयी.