नरसिंह इस्पात के खिलाफ दायर जनहित याचिका निष्पादितरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को चांडिल में वन भूमि (जंगल-झाड़) पर नरसिंह इस्पात कारखाना स्थापित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका निष्पादित कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि वन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से विधिसम्मत कार्रवाई की जा रही है. इसलिए अब याचिका पर आगे सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि वन विभाग अपनी संपत्ति को सुरक्षित नहीं रख पा रहा है. जंगल काट दिये जा रहे है. वन भूमि पर कब्जा हो जाता है. एक समय था जब यहां गरमी में भी हल्की ठंड पड़ती थी. आज पंखा, कुलर व एसी की जरूरत पड़ रही है. इसके लिए वन विभाग जिम्मेवार है. खंडपीठ ने पूछा कि जब आपकी जमीन पर कब्जा हो गया, तो आपने उसे वापस क्यों नहीं ली. इससे पूर्व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अधिवक्ता एके पांडेय ने खंडपीठ को बताया कि कानून के अनुसार कंपनी को दिया गया कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) स्थगित करते हुए शो कॉज नोटिस जारी की गयी है. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी. पूर्व में वन विभाग की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया था कि फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट के तहत प्रतिवादी के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की गयी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी खगेन महतो ने जनहित याचिका दायर की थी. कहा था कि वन भूमि पर जहां कारखाना लगाया जा रहा है, वह हाथियों के आने-जाने का रास्ता है.
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अपनी संपत्ति को सुरक्षित नहीं रख पा रहा है वन विभाग : हाइकोर्ट
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