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ग्रामीणों को 40 माह बाद पता चला, वे नक्सली हैं

नामकुम के आठ गांव के लोग हैं परेशान सुरजीत सिंह रांची :नामकुम थाना क्षेत्र के कुदागढ़ा मौजा के आठ गांव (हेसो, गरुड़पीढ़ी, बरडंडा, फतेहपुर, जुगटोली, नीमटोला, मोडोटोला व कुदागढ़ा) के लोग पिछले एक माह से परेशान हैं. रांची से करीब 42 किमी दूर रांची-टाटा रोड पर स्थित इन आठ गांव के लोगों की परेशानी की […]

नामकुम के आठ गांव के लोग हैं परेशान
सुरजीत सिंह
रांची :नामकुम थाना क्षेत्र के कुदागढ़ा मौजा के आठ गांव (हेसो, गरुड़पीढ़ी, बरडंडा, फतेहपुर, जुगटोली, नीमटोला, मोडोटोला व कुदागढ़ा) के लोग पिछले एक माह से परेशान हैं. रांची से करीब 42 किमी दूर रांची-टाटा रोड पर स्थित इन आठ गांव के लोगों की परेशानी की वजह यह है कि करीब 25 दिन पहले उन्हें पता चला है कि गांव के करीब एक दर्जन लोग नक्सली हैं. वे लोग मुठभेड़ की उस घटना में शामिल थे, जो करीब 40 माह पहले 27 नवंबर 2011 को हुई थी.
अप्रैल 2015 के पहले हफ्ते में नामकुम पुलिस ने हेसो गांव के रामसत्य मुंडा के घर इश्तेहार चिपकाया. रामसत्य मुंडा पारा टीचर हैं. पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पुलिस के साथ मिल कर चुनाव संपन्न कराया था.
रामसत्य मुंडा कहते हैं : जब कोर्ट में जाकर वकील के माध्यम से रिकार्ड देखा, तो पाया कि उनके साथ गांव के दूसरे युवक भी पुलिस की नजर में नक्सली बन चुके हैं. केस डायरी से स्पष्ट है कि मामले का सुपरविजन होने के बाद क्रांतिकारी किसान कमेटी (केकेसी) के कथित अध्यक्ष बुधराम मुंडा ने अपने बयान में 34 लोगों को अपना सहयोगी बताया था. इनमें से करीब एक दर्जन ग्रामीण ऐसे हैं, जिनका संगठन से कोई लेना-देना नहीं है. बुधराम मुंडा के बयान में जिन ग्रामीणों के नाम हैं, उन्हें पुलिस ने कभी नहीं ढूंढा.
रामसत्य मुंडा के खिलाफ इश्तेहार जारी होने के बाद ग्रामीणों को पता चल रहा है कि वह नक्सली हैं. इसके बाद लोग परेशान हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें. कुछ लोग पुलिस के डर से गांव छोड़ चुके हैं या फिर छिप कर रह रहे हैं. मुठभेड़ की घटना के बाद नक्सलियों के सामानों की जब्ती सूची में लक्खी नारायण मुंडा और उनके पुत्र लागोर मुंडा को गवाह बनाया गया है, लेकिन इन दोनों से पुलिस ने अब तक कोई गवाही न ली और न ही दिलवायी.
गवाह बनाने के बाद पुलिस ने कभी नहीं खोजा
पुलिस ने खेत में काम कर रहे लक्खी नारायाण मुंडा और उसके बेटे लागोरा मुंडा को घटनास्थल पर गवाह के रूप में दिखाया है. पुलिस ने पहाड़ी पर स्थित नक्सली ठिकाने से बरामद सामग्रियों की जब्ती के दौरान दोनों को गवाह बनाया है. लक्खी मुंडा कहता है: खेत में काम कर रहे थे. सामान ढोने के लिए पुलिस साथ ले गयी. एक दिन बाद सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर छोड़ा. घटना के 40 माह बीत चुके हैं. पुलिस ने कभी भी मुझसे या मेरे बेटे से संपर्क नहीं किया.
फैक्ट फाइल
– 27 नवंबर 2011 : पुलिस को सूचना मिली की कुंदन पाहन और राममोहन मुंडा का दस्ता हेसो, बुंडू, राहे, सिल्ली व अनगड़ा में घटना को अंजाम देने के लिए जुटा हुआ है. हटिया एएसपी के नेतृत्व में नामकुम पुलिस, सीआरपीएफ व झारखंड जगुआर के साथ अभियान पर निकली.
– 27 नवंबर 2011 : हेसो गांव के पास जंगल में एक पहाड़ी पर नक्सलियों से मुठभेड़ हुई. पुलिस ने दो ग्रामीण (लक्खी नारायण मुंडा व उनके पुत्र लागोरा मुंडा) को गवाह बना कर घटनास्थल से बरामद सामानों की जब्ती सूची बनायी. कुंदन पाहन समेत कथित 15 नक्सलियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
– 02 दिसंबर 2011 : अनुसंधानक ने मुठभेड़ को लेकर दर्ज प्राथमिकी की जांच की.
– 02 दिसंबर 2011 : हटिया एएसपी ने मामले का सुपरविजन किया, जिसमें घटना को सत्य बताया. अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए आदेश दिये.
– 30 जून 2012 : एएसपी कार्यालय से मामले में रिपोर्ट-दो जारी हुई. अभियुक्तों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया.
– 03 फरवरी 2013 : पुलिस ने कथित नक्सली बुधराम मुंडा को गिरफ्तार किया. बुधराम मुंडा को क्रांतिकारी किसान कमेटी (केकेसी) का अध्यक्ष बताया. साथ ही बुधराम मुंडा ने 34 लोगों को अपना सहयोगी बताया. एक नाम पारा टीचर रामसत्य मुंडा का है.
– अप्रैल 2015 : नामकुम पुलिस ने पारा टीचर रामसत्य मुंडा के घर पर इश्तेहार चिपकाया. रामसत्य मुंडा ने जब अदालत से केस का विस्तृत ब्योरा हासिल किया, तो पाया कि करीब एक दर्जन लोगों का नाम केकेसी के सदस्य के रूप में है.
पुलिस की नजर में ये युवक हैं नक्सली
– रामसत्य मुंडा (38वर्ष) : हेसो गांव निवासी है. वर्ष 2005 से पारा टीचर है. 2014 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पुलिस के साथ डय़ूटी की. अब पता चला है कि नक्सली है.
– सिविल सांडिल (28वर्ष) : बरडंडा गांव का निवासी है. जिस वक्त की घटना है, उस वक्त वह उत्तराखंड में था. वहां बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन में सड़क बनाने का काम कर रहा था. अब पता चला है कि नक्सली है.
– संतोष मुंडा (25वर्ष): गरुड़पीढ़ी गांव का रहनेवाला है. वर्ष 2010-11 में मुंडारी भाषा में स्नातक किया. रांची में दो प्रतिष्ठित होटलों में काम किया. अब खेती करता है. दो हफ्ता पहले पता चला कि नक्सली है.
– मंगल मुंडा : गरुड़पीढ़ी गांव का रहनेवाला है. खेती कर परिवार चलाता है. पुलिस ने हत्या के एक मामले में नोटिस भेजा है.
– पुरेंद्र मुंडा (58वर्ष): गरुड़पीढ़ी गांव का रहनेवाला है. वह खेती करता है. रामसत्य के घर इश्तेहार आने के बाद पता चला कि वह नक्सली है.

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