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रेलवे का निजीकरण नहीं : प्रभु

नयी दिल्ली. सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खड़ा कर रहे हैं, जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते. निजीकरण की धारणा भ्रामक संकेत देती है. इसमें किसी उद्यम का मालिकाना हक किसी […]

नयी दिल्ली. सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खड़ा कर रहे हैं, जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते. निजीकरण की धारणा भ्रामक संकेत देती है. इसमें किसी उद्यम का मालिकाना हक किसी दूसरी इकाई या प्रबंधन को हस्तांतरित करने का विचार होता है, जो रेलवे में संभव नहीं है. सरकार द्वारा गठित बिबेक देवराय की अध्यक्षतावाली समिति ने घाटे में चल रही रेलवे के निगमीकरण की सिफारिश करते हुए सुझाव दिया है कि रेल मंत्रालय को केवल नीति निर्माण के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और निजी कंपनियों को यात्री, माल ढुलाई का जिम्मा दिया जाना चाहिए. वहीं, रेलवे पर कैग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे अपनी यात्री परिचालन लागत तथा अन्य कोच सेवाओं की लागत को पूरा करने में विफल रही है और 2011-12 में इस मद में 23,643 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.’रेलवे लगातार भारत सरकार के नियंत्रण में बनी रहेगी और सरकार ही इसका प्रबंधन करेगी. हम बदलाव चाहते हैं. लेकिन, मालिकाना हक में नहीं. हम ऐसा बदलाव नहीं चाहते कि कोई रेलवे की मूल्यवान संपत्ति को चलाये. हम रेलवे के कामकाज में सुधार के लिए निजी निवेश या प्रौद्योगिकी चाहते हैं, ताकि रेलवे और मूल्यवान बने.सुरेश प्रभु, रेल मंत्री

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