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आतंकवाद से मुकाबले के लिए वैश्विक संधि की जरूरत : विशेषज्ञ

वाशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि बदले हुए माहौल में अराजक तत्व मानवता के प्रति अब तक का सबसे बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. ऐसे में आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए मौजूदा दर्जनों संधियों के बजाय एक साझी वैश्विक संधि की जरूरत है. आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय कानून के जाने माने विशेषज्ञ एवं […]

वाशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि बदले हुए माहौल में अराजक तत्व मानवता के प्रति अब तक का सबसे बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. ऐसे में आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए मौजूदा दर्जनों संधियों के बजाय एक साझी वैश्विक संधि की जरूरत है. आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय कानून के जाने माने विशेषज्ञ एवं लेखक प्रो वेद नंदा ने कहा, ‘अब मौजूदा 14 अलग अलग अंतरराष्ट्रीय संधियों की जगह पर एक वैश्विक संधि की जरूरत है.’ नंदा और अन्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को अमेरिका की राजधानी में फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज (एफआइआइडीएस यूएसए) की ओर से आतंकवाद के विषय पर आयोजित दिन भर चली पैनल चर्चा में ये बातें कहीं. न्यू अमेरिका ऑर्गेनाइजेशन में शोधकर्ता डेविड स्टारमैन ने अमेरिकी सरजमीं पर बढ़ते आतंवाद और नियंत्रण पर निगरानियों को लेकर आंकड़े पर अध्ययन किया. उन्होंने इसमें बताया कि निर्णायक कारणों की पहचान के लिए समुदाय से मिलने वाली सूचनाएं और पारंपरिक खुफिया जानकारियां सोशल मीडिया के साथ आतंकवादी नेटवर्क की निगरानी के बजाय ज्यादा प्रभावी हैं. दिन भर चले सम्मेलन में सीआइए के पूर्व अधिकारी और ‘द इंटेरोगेटर’ के लेखक ग्लेन कार्ल ने बताया कि किस तरह से विभिन्न देशों के निहित स्वार्थों के साथ भू राजनैतिक और ऐतिहासिक मुद्दे इस तरह की संधियों को हासिल करने में कठिनाई पैदा करती हैं. ग्लेन ने आरोप लगाया कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान और सऊदी अरब के पैसों की बड़ी भूमिका है.

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