आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में करीब 36 से 38 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं. कुपोषण यानी मालन्यूट्रीशन की बीमारी बेसिक कमी पीइएम (प्रोटीन-एनर्जी मालन्यूट्रीशन) की कमी के कारण होती है. इस बीमारी में बच्चों का पेट बड़ा हो जाना, शरीर की स्किन साइन करना, बाल भूरे हो जाना, भूख भी कम लगना, हाथ-पैर पतले हो जाना जैसे लक्षण दिखायी देते हैं. इस प्रकार के लक्षण दिखायी देने पर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. बचाव के तौर पर बच्चों को बैलेंस डाइट देना चाहिए. वहीं जन्म के शुरुआती 6 महीनों तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए. वहीं 6 महीने के बाद दिन में करीब 5 से 6 बार के अंतराल पर दूध व खाना खिलाना चाहिए.
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कुपोषण देता है कई अन्य बीमारियों को जन्म
आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में करीब 36 से 38 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं. कुपोषण यानी मालन्यूट्रीशन की बीमारी बेसिक कमी पीइएम (प्रोटीन-एनर्जी मालन्यूट्रीशन) की कमी के कारण होती है. इस बीमारी में बच्चों का पेट बड़ा हो जाना, शरीर की स्किन साइन करना, बाल भूरे हो जाना, भूख भी कम लगना, हाथ-पैर […]
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