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सुपरविजन रिपोर्ट नहीं दी, 3201 केस लंबित
रांची : राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में से 3201 मामले की जांच इसलिए अधूरी है, क्योंकि इन मामलों का सुपरविजन और रिपोर्ट-दो नहीं निकाला गया है. गंभीर मामलों का सुपरविजन करने की जिम्मेदारी जिलों में पदस्थापित डीएसपी रैंक के अफसरों की होती है, जबकि रिपोर्ट-दो निकालने की जिम्मेदारी जिला के एसपी की. […]
रांची : राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में से 3201 मामले की जांच इसलिए अधूरी है, क्योंकि इन मामलों का सुपरविजन और रिपोर्ट-दो नहीं निकाला गया है. गंभीर मामलों का सुपरविजन करने की जिम्मेदारी जिलों में पदस्थापित डीएसपी रैंक के अफसरों की होती है, जबकि रिपोर्ट-दो निकालने की जिम्मेदारी जिला के एसपी की. पुलिस मुख्यालय इसे लेकर जिलों के एसपी व डीएसपी को दिशा-निर्देश जारी करती रहती है, लेकिन कई जिलों के पुलिस अफसरों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है.
अपराध अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2830 मामलों में डीएसपी रैंक के अफसरों की ओर से मामलों में सुपरविजन नहीं किये गये हैं. इस कारण केस की जांच लंबित है.
इसी तरह 371 मामलों में जिलों के एसपी ने रिपोर्ट-दो जारी नहीं की है. सुपरविजन नहीं होने और रिपोर्ट-दो नहीं निकलने की वजह से सबसे अधिक हजारीबाग प्रमंडल के जिलों में मामले लंबित हैं.
1968 केस का चार्ज नहीं दिया
आंकड़े के मुताबिक राज्य भर में 1968 आपराधिक मामलों का अनुसंधान इसलिए रुका हुआ है, क्योंकि इन मामलों की जांच करने वाले पुलिस पदाधिकारी ने दूसरे पदाधिकारी को जांच का जिम्मा नहीं सौंपा है.
नियम है कि अगर किसी पुलिस पदाधिकारी का जिला या थाने से तबादला होता है, तो थाने में पदस्थापित होनेवाले नये पुलिस पदाधिकारी को मामले की जांच का जिम्मा देते हैं. लेकिन, 1968 मामलों के अनुसंधानक बिना केस का चार्ज दिये ही दूसरे जिला या थानों में विरमित हो गये. इस कारण इन मामलों का अनुसंधान रुका हुआ है.
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