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कुपोषण दूर करना सरकार का लक्ष्य

आंगनबाड़ी पहुंच अभियान. योजना की शुरुआत पर संगोष्ठी, मंत्री लुईस मरांडी ने कहा रांची : समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए संकल्पित है. इसे दूर करना सरकार का लक्ष्य है. जल्द ही हर आंगनबाड़ी केंद्र में कुपोषण सखी की नियुक्ति होगी. सीडीपीओ की नियुक्ति के लिए […]

आंगनबाड़ी पहुंच अभियान. योजना की शुरुआत पर संगोष्ठी, मंत्री लुईस मरांडी ने कहा
रांची : समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए संकल्पित है. इसे दूर करना सरकार का लक्ष्य है. जल्द ही हर आंगनबाड़ी केंद्र में कुपोषण सखी की नियुक्ति होगी.
सीडीपीओ की नियुक्ति के लिए जेपीएससी को लिखा जायेगा. सेविकाओं की प्रोन्नति की समस्या भी दूर की जायेगी. मई महीने से बच्चों को तौलने का अभियान शुरू किया जा रहा है. जिन कुपोषण सुधार गृहों की स्थिति ठीक नहीं, उन्हें हर हाल में दुरुस्त किया जायेगा.
राज्य में 38,432 आंगनबाड़ी हैं, पर यह पर्याप्त नहीं. विभाग ने मिनी आंगनबाड़ी खोलने का निर्णय लिया है. सुझाव दें, उन पर अमल किया जायेगा. वे मंगलवार को ‘आंगनबाड़ी पहुंच अभियान’ की शुरुआत के मौके पर एसडीसी सभागार में आयोजित ‘झारखंड में आंगनबाड़ी सेवाओं का सार्वभौमीकरण’ विषयक राज्यस्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं. यह अभियान क्रेज (कैंपेन फॉर राइट टू एजुकेशन इन झारखंड) और क्राई, कोलकाता द्वारा चलाया जायेगा.
मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी ही बच्चों की प्रथम पाठशाला है. यह सिर्फ उन्हें खिचड़ी देने का केंद्र नहीं, बल्कि यह उनके भावी जीवन पर भी बहुत प्रभाव छोड़ सकता है. आंगनबाड़ी सेविकाएं बच्चों को शिक्षित करती हैं और उन्हें पोषण भी देती हैं. लोगों को आंगनबाड़ी केंद्र का महत्व समझाना महत्वपूर्ण है.
वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने कहा झारखंड में हर साल पांच साल से कम उम्र के 46,000 बच्चों की मृत्यु हो जाती है. आंगनबाड़ी केंद्रों की मजबूती से ही स्थिति सुधरेगी. यदि बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होंगे, तभी गांव- देश भी मजबूत होगा.
पोषण के मामले में राज्य की स्थिति ठीक नहीं
क्रेज के वरीय समन्वयक जेरोम जेराल्ड कुजूर ने कहा कि राज्य में 60 माह तक के लगभग आधे बच्चे अल्प वजन हैं. लगभग 39 फीसदी बच्चे अभी भी आंगनबाड़ी सेवा से वंचित हैं.
यह प्रतिशत कुछ अफ्रीकी देशों के प्रतिशत से अधिक है. परियोजना के नियमानुसार, 800 की आबादी पर एक आंगनबाड़ी केंद्र व अनुसूचित जाति व जनजाति और दुर्गम क्षेत्रों में 300 से 800 की आबादी पर एक आंगनबाड़ी केंद्र का प्रावधान है. जबकि झारखंड में 857 की आबादी पर एक आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत है. यह जनसंख्या के अनुपात में कम है, जो आंगनबाड़ी सेवाओं के सार्वभौमीकरण में बाधक है. झारखंड में 3.33 करोड़ की आबादी पर 224 समेकित बाल विकास परियोजनाएं चल रही हैं, पर मानक के अनुसार एक लाख की आबादी पर एक परियोजना होनी चाहिए.
मौके पर क्रेज के समन्वयक अरुण आनंद, कालेश्वर मंडल, बैधनाथ, जीवन जगन्नाथ, प्रवीण कुमार, राकेश किड़ो, अभय, दीनानाथ, प्रभा जयसवाल, मनोज दांगी ने भीविचार रखे.
मुख्यमंत्री पोषण कोष बनायें : बलराम
भोजन का अधिकार अभियान से जुड़े बलराम ने कहा कि राज्य में कम से कम 44,000 आंगनबाड़ी केंद्र होने चाहिए, जहां सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार साल के हर दिन सभी सेवाएं उपलब्ध हों.
आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है. इनकी बेहतरी में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी. गांव से प्रखंड स्तर तक पोषण संवाद होने चाहिए. मुख्यमंत्री पोषण कोष का निर्माण करें.
छूट गये बच्चों, महिलाओं को केंद्र से जोड़ेंगे
क्राई के अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि क्रेज इस साल सबको आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचाने का प्रयास करेगा. 300 गांव व स्लम में छूटे बच्चों व महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र से जोड़ा जायेगा. सरकार भी इस तरह के कार्यक्रम चलाये.

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