रांची: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र की अदालत ने प्रभात खबर में मंगलवार को वीआइपी कैदियों के लिए आरामगाह बना रिम्स शीर्षक से छपी खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में अदालत ने रिम्स निदेशक डॉ तुलसी महतो को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
रिम्स निदेशक को यह बताने को कहा है कि वीआइपी कै दियों को कौन-कौन सी बीमारियां हैं? किस परिस्थिति में कैदियों को वहां रखा गया है? मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता रंगन मुखोपाध्याय एवं राजेश कुमार ने अदालत को बताया कि होटवार स्थित बिरसा मुंडा कारागार के कैदियों के बीमार पड़ने पर सिविल सजर्न रांची की ओर से रिपोर्ट दी जाती है. इस रिपोर्ट पर कोर्ट से अनुमति लेकर कैदियों को पुलिस संरक्षण में इलाज के लिए रिम्स ओपीडी भेजा जाता है. रिम्स पहुंचने के बाद बीमारी के हिसाब से इलाज करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन पर होती है.
गौरतलब है कि वीआइपी कैदी रिम्स के कॉटेज में भरती हैं. 14 कॉटेज में से छह पर उनका कब्जा है. पांच कॉटेज की मरम्मत हो रही है. आम मरीजों को मांगने से भी कॉटेज नहीं मिलता है.