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खतियान, भाषा – संस्कृति हो स्थानीयता की पहचान

फोटो सुनीलआदिवासी छात्र संघ के बैनर तले सैकड़ों छात्रों ने निकाला मशाल जुलूससंवाददाता, रांचीआदिवासी-मूलवासियों के हित के लिए स्थानीय नीति की मांग को लेकर आदिवासी छात्र संघ के बैनर तले सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने अलबर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला. अलबर्ट एक्का चौक पर जनसभा को संबोधित करते हुए उपाध्यक्ष सुशील उरांव, कुलदीप तिर्की, प्रेम […]

फोटो सुनीलआदिवासी छात्र संघ के बैनर तले सैकड़ों छात्रों ने निकाला मशाल जुलूससंवाददाता, रांचीआदिवासी-मूलवासियों के हित के लिए स्थानीय नीति की मांग को लेकर आदिवासी छात्र संघ के बैनर तले सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने अलबर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला. अलबर्ट एक्का चौक पर जनसभा को संबोधित करते हुए उपाध्यक्ष सुशील उरांव, कुलदीप तिर्की, प्रेम टोप्पो व अन्य ने कहा कि स्थानीयता का निर्धारण 1932 के खतियान (अंतिम सर्वे), झारखंडी भाषा- संस्कृति, रीति-रिवाज, परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के आधार पर किया जाये.उन्होंने कहा कि कट ऑफ डेट तय कर गैर झारखंडियों को झारखंडी बनाने की साजिश नहीं की जाये. स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में जनजाति सलाहकार परिषद व सामान्य क्षेत्रों में स्थानीय आयोग का गठन किया जाये, जिनके अध्यक्ष व सभी सदस्य खतियानधारी ही हों़

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