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अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अधिवेशन में रखा प्रस्ताव, अंतिम सर्वे बने स्थानीयता का आधार

रांची: पूर्व आइजी डॉ अरुण उरांव ने कहा कि हमें जमीन की लड़ाई लड़नी होगी. इसके लिए समाज के लोगों को एकजुट होना होगा, ताकि हम अपनी जमीन की हिफाजत कर सकें. उसे बचा सकें. उन्होंने कहा कि हमें स्व कार्तिक उरांव की जीवनी से सीख लेने की जरूरत है. उनके बताये रास्ते पर चलना […]

रांची: पूर्व आइजी डॉ अरुण उरांव ने कहा कि हमें जमीन की लड़ाई लड़नी होगी. इसके लिए समाज के लोगों को एकजुट होना होगा, ताकि हम अपनी जमीन की हिफाजत कर सकें. उसे बचा सकें. उन्होंने कहा कि हमें स्व कार्तिक उरांव की जीवनी से सीख लेने की जरूरत है. उनके बताये रास्ते पर चलना होगा. वह अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद झारखंड राज्य के वार्षिक अधिवेशन के मौके पर बोल रहे थे. हेहल बगीचा टोली में अधिवेशन का आयोजन किया गया था.

इसका उदघाटन पूर्व आइपीएस अधिकारी बंदी उरांव ने किया. मौके पर परिषद के राज्य स्तरीय शाखा की कार्यकारिणी समिति का चयन हुआ. इसमें डॉ अरुण उरांव को अध्यक्ष चुना गया. अधिवेशन में परिषद के आजीवन सदस्यों को प्रमाण पत्र दिया गया. साथ ही 11 सूत्री प्रस्ताव पास किये गये. इसमें अंतिम सर्वे को आधार मान कर स्थानीयता को परिभाषित करने को कहा गया है.

निर्वाचित पदाधिकारी : अध्यक्ष-डॉ अरुण उरांव, उपाध्यक्ष-सिदो हेंब्रम, भीम मंडा, डॉ देवनीस खेस, महासचिव-सीता राम भगत, सचिव-बसंत तिर्की, संयुक्त सचिव-प्रो सत्यनारायण उरांव, संजय कच्छप, करमपाल उरांव, बुधराम उरांव, डॉ नरेश भगत, कोषाध्यक्ष-सरोजनी तिर्की, सहायक कोषाध्यक्ष-सुषमा मुंडा. इनके अलावा कार्यकारिणी समिति, स्टेट एडवाइजरी कमेटी, स्टेट को-ऑर्डिनेटर्स कमेटी के सदस्यों व विशेष आमंत्रित सदस्यों को चुना गया है.

जो प्रस्ताव पारित किये गये

नियोजन नीति के तहत राज्य के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के पदों पर शत प्रतिशत लाभ मूलवासियों को मिले.

भूमि अध्यादेश 2014 किसानों के हित में नहीं है. इसमें सुधार लाया जाये.

गैर आदिवासी पुरुष निजी स्वार्थ के लिए आदिवासी महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन मामलों की सरकार जांच कराये.

सरकारी व आदिवासियों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण किया गया है. इसे अतिक्रमण मुक्त करायें.

राज्य में बड़े पैमाने पर बैकलॉग रिक्तियों को भूमि पुत्रों से भरा जाये.

आदिवासियों की संवैधानिक व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाये.

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