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लाइसेंस सिर्फ पांच के पास, चल रहे 500 क्रशर

बदहाली : इचाक प्रखंड में 500 क्र शर व 150 पत्थर खदान संचालित, अधिकांश का लीज नहीं हजारीबाग जिले के इचाक समेत अन्य प्रखंड में सैकड़ों क्रशर व पत्थर खदान अवैध रूप से संचालित हैं. पत्थर माफियाओं का इस पर पूरी तरह से कब्जा है. इससे एक ओर जहां पर्यावरण को खतरा है, वहीं दूसरी […]

बदहाली : इचाक प्रखंड में 500 क्र शर व 150 पत्थर खदान संचालित, अधिकांश का लीज नहीं

हजारीबाग जिले के इचाक समेत अन्य प्रखंड में सैकड़ों क्रशर व पत्थर खदान अवैध रूप से संचालित हैं. पत्थर माफियाओं का इस पर पूरी तरह से कब्जा है. इससे एक ओर जहां पर्यावरण को खतरा है, वहीं दूसरी ओर धरती खोखली होती जा रही है और पहाड़ खत्म होते जा रहे हैं. क्रशरों से उड़नेवाले धूल कण से हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी बंजर हो गयी है. आस-पास के लोग कई तरह की बीमारी के शिकार हो रहे हैं.

यह भविष्य के लिए सुखद संकेत नहीं है. हालांकि पत्थरों का अवैध उत्खनन करनेवालों व बिना लाइसेंस के क्रशर चलानेवालों पर खनन विभाग बीच-बीच में कार्रवाई करता है, लेकिन यह कार्रवाई नाकाफी है. इसका अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि इचाक में लाइसेंस सिर्फ पांच के पास है और चल रहे हैं 500 क्रशर. इस कार्य में अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

रांची : रांची-पटना मार्ग स्थित इचाक मोड़ पर एनएच पथ के किनारे सैकड़ों क्रशर संचालित हैं. घनी आबादी के बीच क्रशर होने से पर्यावरण प्रदूषित होने लगा है. वहीं अवैध उत्खनन से धरती खोखली होने लगी है. पहाड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. आम लोगों की जिंदगी भी खतरे में है.

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क्रशरों की वजह से करीब 2000 हेक्टेयर भूमि बंजर बन चुकी है. प्रखंड में लगभग 500 क्र शर व 150 पत्थर खदान हैं. इसमें से सिर्फ चार-पांच क्रशर व दो-तीन पत्थर खदान ही लाइसेंसे व लीज पर संचालित हैं. अन्य क्रशर व पत्थर खदान बिना लाइसेंस लीज के संचालित हो रहे हैं. क्रशर रैयती व गैरमजरूआ भूमि पर है. वहीं पत्थर की सभी खदानें वन क्षेत्र व गैरमजरूआ भूमि पर है.

डुमरौन व मूर्तिया में करीब 150 क्रशर हैं. भुसवा में करीब 75 क्रशर, सिझुआ में 80 क्रशर, इचाक मोड़ में 18 क्रशर, बोंगा में 50, टेपसा साड़म में 25, मोकतमा में एक, कारीमाटी में एक व पुनाई में एक क्रशर के अलावा अन्य जगहों पर क्रशर संचालित हैं. वहीं डुमरौन के चरकी टोंगरी, चटनाही पत्थर, कसियाटांड़, कोसियनवाटांड़, जमुनियाटांड़, खरखरवा, फुलदाहा व मूर्तिया में 50 पत्थर खदान, तिलरा में दो पत्थर खदान, बोंगा सेवाने नदी के किनारे पांच पत्थर खदान, टेपसा साड़म में 10 पत्थर खदान, बभनी जंगल में 20 पत्थर खदान, बांका जंगल में 20 पत्थर खदान, करमटांड़ जंगल में 10, कवातू में पांच, नावाडीह में तीन पत्थर खदान, कारीमाटी में एक, पुनाई में एक, देवरिया हरिजन कॉलोनी के समीप तीन पत्थर खदान के अलावा शिलाडीह बलिया गोबराही नदी वन क्षेत्र में पत्थर के अवैध खदान चल रहे हैं.

अधिकांश खदान वन क्षेत्र व गैरमजरूआ भूमि पर है. काफी संख्या में क्रशर के कारोबार से पर्यावरण दूषित हो चुका है. क्रशर नगरी के बीच बसा इचाक मोड़, डुमरौन, साड़म, टेपसा, बोंगा गांव के लोगों की जिंदगी खतरे में है. सड़क से गुजरने वाले हर व्यक्ति दूषित हवा लेने को मजबूर है. पर्यावरण दूषित होने से ग्रामीणों के अलावा जीव-जंतु पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. लोग टीबी दमा, खांसी समेत अन्य बीमारियों से ग्रसित होने लगे हैं.

कुएं व तालाब का पानी दूषित : क्रशरों के चलने से धूल कण तालाब व कुएं में गिरतेहै. इससे पानी दूषित हो जाता है. इसके सेवन से ग्रामीण व मवेशी बीमार हो रहे हैं. पत्थर खदान की गहराई अधिक होने के कारण कुएं व तालाब का जल स्तर भी नीचे जा चुका है. कई चापानलों से पानी तक नहीं निकलता है.

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अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं : ग्रामीणों का आरोप है कि आवेदन देने के बाद भी जिला प्रशासन गंभीर नहीं है. पत्थर माफिया धड़ल्ले से पत्थर का कारोबार कर रहे हैं. पुलिस, खनन विभाग व वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. पुलिस भी पत्थर माफियाओं व वाहनों से पैसे वसूलने में लगी रहती है.

भारी वाहनों के चलने से सड़कें जजर्र : डुमरौन क्रशर नगरी से हर रोज 100 से अधिक हाइवा से पत्थर की ढुलाई होती है. भारी वाहनों के चलने से इचाक मोड़ से डुमरौन पथ जजर्र हो गया है. पथ की मरम्मत करने के लिए कोई ठेकेदार तैयार नहीं होता, क्योंकि वाहनों के परिचालन से सड़क दिन भर व्यस्त रहता है. साड़म-टेपसा पत्थर खदान से भी काफी संख्या में ट्रैक्टर व हाइवा चलते हैं. इचाक थाना से साड़म गांव तक की सड़क जजर्र हो गयी है.

खदान मालिकों की मनमानी से ग्रामीण परेशान : ग्रामीणों ने बताया कि खदान मालिक मिट्टी को बिना पूछे दूसरे की जमीन पर फेंक देते हैं. क्र शर की धूल, खदान की मिट्टी व विस्फोट से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है.

क्रशर लगाने व पत्थर उत्खनन के लिए बनाये गये कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. हजारीबाग वन्य आश्रयणी से अधिकांश क्रशर सटे हैं. आश्रयणी क्षेत्र के जंगल से सटी वन भूमि पर करीब 50 से अधिक खदान बनाये जा चुके हैं. कानून को दरकिनार करते हुए बेखौफ होकर पत्थर माफिया पत्थर का कारोबार कर रहे हैं. विस्फोट से जहां ग्रामीण परेशान हैं, वहीं आश्रयणी के जीव-जंतु का अस्तित्व भी खतरे में है. बभनी, बांका व करमटांड़ में पत्थर खदान पहाड़ों के बीच बनायी गयी है. पत्थर की ढुलाई में वन क्षेत्र की कई एकड़ भूमि भी बरबाद हो रही है.

कई लोग बीमारी की चपेट में

पर्यावरण दूषित होने से कई लोग टीवी व दमा के शिकार हो रहे हैं. डुमरौन चौक निवासी कोलहा महतो व उनका पोता संजय बीमार हैं. गोबरबंदा की शारदा खातून समेत कई दर्जन लोग पीड़ित हैं. कोलहा महतो की पत्नी टहली देवी ने बताया कि खाने में धूल कण मिल जाता है. इससे हमारे पति व बच्चे बीमारी से ग्रसित हो गये हैं. र्छी व पत्थर लदे वाहनों के गुजरने व क्रशर चलने के बाद धूल कण उड़ने से अंधेरा छा जाता है.

हजारीबाग जिले के इचाक समेत अन्य प्रखंड में सैकड़ों क्रशर व पत्थर खदान अवैध रूप से संचालित हैं. पत्थर माफियाओं का इस पर पूरी तरह से कब्जा है. इससे एक ओर जहां पर्यावरण को खतरा है, वहीं दूसरी ओर धरती खोखली होती जा रही है और पहाड़ खत्म होते जा रहे हैं. क्रशरों से उड़नेवाले धूल कण से हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी बंजर हो गयी है. आस-पास के लोग कई तरह की बीमारी के शिकार हो रहे हैं. यह भविष्य के लिए सुखद संकेत नहीं है.

हालांकि पत्थरों का अवैध उत्खनन करनेवालों व बिना लाइसेंस के क्रशर चलानेवालों पर खनन विभाग बीच-बीच में कार्रवाई करता है, लेकिन यह कार्रवाई नाकाफी है. इसका अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि इचाक में लाइसेंस सिर्फ पांच के पास है और चल रहे हैं 500 क्रशर. इस कार्य में अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

पर्यावरण पर मंडरा रहा खतरा

– इचाक मोड़, डुमरौन, साड़म, टेपसा व बोंगा गांव के लोगों की जिंदगी खतरे में

– यहां की सड़कों से गुजरने वाला हर व्यक्ति दूषित हवा लेने को मजबूर हैं

– पर्यावरण प्रदूषित होने से ग्रामीणों के अलावा जीव-जंतु पर भी प्रतिकूल असर

– यहां के लोग टीबी, दमा, खांसी समेत अन्य बीमारियों से ग्रसित होने लगे हैं

– खदानें वन क्षेत्र व गैरमजरूआ भूमि पर, क्रशर रैयती व गैरमजरूआ भूमि पर

स्कूली बच्चे व लोगों की जिंदगी खतरे में

प्रखंड के मध्य विद्यालय डुमरौन, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जमुनियाटांड़, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पारटांड़ व डुमरौन चौक स्थित दो निजी विद्यालयों में एक हजार से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. विद्यालयों से क्रशर व पत्थर खदान सटा है. कई बार विस्फोट के दौरान पत्थर के टुकड़े विद्यालय भवन पर जा गिरते हैं. विद्यालय अवधि में बच्चे दूषित हवा लेने को मजबूर हैं. जवाहर नवोदय विद्यालय बोंगा के समीप भी क्र शर होने के कारण इसका दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है. वहीं इचाक मोड़, डुमरौन चौक, साड़म, बोंगा गांव में दूषित हवा के कारण हजारों लोगों की जिंदगी खतरे में है. जमुनियाटांड़ विद्यालय भवन में पिछले साल पत्थर का टुकड़ा गिरने से भवन क्षतिग्रस्त हो गया था.

लाखों रुपये के राजस्व की चोरी

इचाक थाना क्षेत्र में हर रोज आठ से 10 हजार सीएफटी पत्थर तोड़े जाते हैं. अवैध क्रशर होने के कारण सरकार को राजस्व नहीं मिल पाता है. सरकार को हर रोज लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है. डुमरौन, बभनी, बांका, करमटांड़, देवरिया व शीलाडीह के अधिकतर पत्थर खदान वन क्षेत्र में है. वन विभाग के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, फिर भी कार्रवाई नहीं की जाती है.

हर रोज विस्फोट से दहलता है क्षेत्र

पत्थर तोड़ने के लिए खदानों में हर रोज सुबह-शाम विस्फोट किया जाता है. इसमें जिलेटीन व अन्य विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. विस्फोट के दौरान पत्थर के टुकड़े से कई घरों को भी नुकसान होता है. पर वहां रहने वाले गरीब परिवार के लोग इसका खुल कर विरोध नहीं कर पाते, क्योंकि पत्थर माफियाओं की मिलीभगत पुलिस प्रशासन से होती है. खदान में विस्फोट होने से पूरा क्षेत्र दहलता है.

2000 हेक्टेयर भूमि हुई बंजर

क्रशर से उड़ने वाले धूल कण के कारण प्रखंड में करीब 2000 हेक्टेयर भूमि बंजर हो गयी है. डुमरौन के किसानों को अधिक खमियाजा भुगतना पड़ रहा है. यहां 100 हेक्टेयर भूमि बंजर बन चुकी है. तंग आकर कई किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है. टेपसा साड़म में पत्थर माफियाओं ने गरीब हरिजनों को भूदान में मिलने वाली जमीन पर बड़े-बड़े पत्थर खदान बना दिये.

समीप में ही क्रशर भी लगाये गये हैं. ऐसे में करीब 50 हेक्टेयर भूमि पर पत्थर के धूल कण की परत देखने को मिलती है. बोंगा में 25 हेक्टेयर व सिझुआ में 25 हेक्टेयर जमीन भी धूल कण की चपेट में आ गयी है.

20} लोग को लाभ, 80} हो रहे शिकार

इतने बड़े क्रशर व्यवसाय में पूरी आबादी के 20 प्रतिशत लोग ही रुपये कमा कर लाभ उठा रहे हैं, जबकि 80 प्रतिशत आबादी प्रदूषण का शिकार हो रही है. क्रशर व पत्थर खदान चलाने वाले अधिकांश लोग पूंजीपति हैं, जो गांव में नहीं रहते हैं. परिवार के साथ शहर में रहते हैं. इसका खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है. डुमरौन पंचायत में 13 वार्ड है. आबादी लगभग छह हजार है. पत्थर व्यवसायियों के खिलाफ आवाज उठाने पर इन्हें झूठे मामले में फंसा दिया जाता है.

घनी आबादी के बीच 100 क्रशर संचालित

इचाक मोड़ में घनी आबादी के बीच करीब 100 क्रशर संचालित है, जो एनएच से 200 फीट की दूरी पर है. कई घरों के सामने क्रशर लगा दिया गया है. इचाक मोड़ के गोबरबंदा में करीब 20 घर है.

पत्थर माफियाओं के भय से गरीब लोग खुल कर बोल नहीं पाते हैं. मो काजिम, मो तसलीम, तुलसी महतो, प्रकाश महतो, चोहन महतो, मो कासिम अंसारी, दिनेश ठाकुर, सुलेमान मियां, महेश राम, मो नईम, कल्लू ठाकुर, कैलाश पासवान, दिलीप कुशवाहा, रोहन मिस्त्री, मुमताज अंसारी, हाफिज मियां, महदली मियां, मो अनवर का मकान इस मुहल्ले में है. ग्रामीणों का कहना है कि दिन भर दरवाजा-खिड़की बंद रखना पड़ता है.

भोजन व पानी को हमेशा ढक कर रखना पड़ता है. थोड़ी सी लापरवाही से पूरा भोजन बरबाद हो जाता है. ग्रामीणों ने कई बार उपायुक्त को आवेदन देकर क्रशर हटाने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जिन जगहों पर क्रशर मशीन लगायी गयी है, वहां पहले खेती होती थी. अब क्रशर लगने से इर्द-गिर्द की जमीन भी बंजर हो चुकी है. डुमरौन के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से दिखावे के नाम पर सिर्फ एक दो क्रशर को हटाया जाता है. बाद में फिर लगा दिया जाता है.

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