14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्य में सिकल सेल बीमारी की होगी पहचान

जनजातीय बच्चों के लिए चलेगा अभियान रांची : आम तौर पर जनजातीय समुदाय में मलेरिया का प्रकोप ज्यादा पाया जाता है. यह भी पाया गया है कि मलेरिया प्रभावित व्यक्ति को सिकल सेल जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. सिकल सेल एक ऐसी वंशानुगत बीमारी है, जिससे मनुष्य के होमोग्लोबिन में परिवर्तन होता […]

जनजातीय बच्चों के लिए चलेगा अभियान
रांची : आम तौर पर जनजातीय समुदाय में मलेरिया का प्रकोप ज्यादा पाया जाता है. यह भी पाया गया है कि मलेरिया प्रभावित व्यक्ति को सिकल सेल जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.
सिकल सेल एक ऐसी वंशानुगत बीमारी है, जिससे मनुष्य के होमोग्लोबिन में परिवर्तन होता है. इस बीमारी के दो प्रकार हैं-एक सिकल सेल लक्षण व दूसरी सिकल सेल बीमारी. भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रलय के संयुक्त सचिव मनोज पिंगुआ ने यह कहा.
वह जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ), मोरहाबादी में आयोजित सिकल सेल मलेरिया के एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसका आयोजन जनजातीय कल्याण मंत्रलय व कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से किया था. श्री पिंगुआ ने कहा कि यह बीमारी लाइलाज है.
जीवनशैली का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता. हां इसे फैलने से रोका जा सकता है. यह एड्स या छुआछूत की बीमारी नहीं है. पति-पत्नी दोनों सिकल हों, तो बच्चे में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है. सामाजिक जागरूकता से ऐसी शादी टाल कर इस पर रोकथाम संभव है. यानी सिकल सेल प्रभावित दो नौजवानों को एक गोत्र मान कर शादी से बचना होगा.
जनजातीय समुदाय में ममेरे-फुफेरे व ऐसी ही रिश्तेदारी में भी शादियां होती हैं. इससे भी सिकल सेल बीमारी को बढ़ावा मिलता है. इसलिए सिकल सेल प्रभावित बच्चों-नौजवानों की पहचान जरूरी है. श्री पिंगुआ ने कहा कि जनजातीय इलाके के सभी स्कूल-कॉलेज व अन्य जगहों पर बच्चों की जांच होगी. इसके बाद सेल से अप्रभावित लोगों को सफेद कार्ड, इसके लक्षण से प्रभावित लोगों को सफेद व पीला कार्ड तथा सेल से पूरी तरह प्रभावित लोगों को पीला कार्ड निर्गत किया जायेगा. इस कार्ड को सामाजिक मान्यता दिलानी होगी तथा शादी-विवाह के समय इस सूचना के आदान-प्रदान की जागरूकता बढ़ानी होगी.
इससे पहले कल्याण सचिव वंदना डाडेल ने स्वागत भाषण में कहा कि मलेरिया से मरने वालों में करीब 50 फीसदी जनजातीय लोग होते हैं. इसलिए इनके बीच सिकल सेल की स्क्रीनिंग व काउंसेलिंग पर हमें जोर देना होगा. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य डॉ सुमंत मिश्र ने कहा कि इस रोग की रोकथाम स्वास्थ्य, कल्याण व अन्य विभागों के आपसी समन्वयन से होगी. उन्होंने आइसीएमआर के वैज्ञानिकों से झारखंड में भी गुजरात की तरह सर्वे करने का आग्रह किया.
बाद में आइसीएमआर से आये वैज्ञानिकों डॉ आर सुब्रrाण्यम, डॉ राजीव यादव व डॉ ज्ञान चंद ने सिकल सेल संबंधी प्रशिक्षण दिया. इस अवसर पर क्षेत्रीय उप निदेशक कल्याण, जिला कल्याण पदाधिकारी, आइटीडीए पदाधिकारी व अभियंता, जिलों के सिविल सजर्न (सीएमओ) व एसीएमओ, झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी के पदाधिकारी तथा कल्याण विभाग के आवासीय विद्यालयों के प्राचार्य व कुछ छात्र उपस्थित थे.
हम सिर्फ कोरम पूरा न करें : लुइस मरांडी
कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि इससे पहले इस बीमारी का नाम हममें से ज्यादातर लोगों ने नहीं सुना होगा. यह गंभीर बीमारी है, जो किसी का भी जीवन खत्म कर सकती है.
अब हमारे सामने इसके प्रचार-प्रसार व रोकथाम का अवसर है. श्रीमती मरांडी ने कहा कि इसकी पहचान के लिए सभी स्कूल-कॉलेज के अलावा एक-एक पंचायत में जाना होगा. यह सरकार का कार्यक्रम है. हम सिर्फ कोरम पूरा न करें, बल्कि इसकी सफलता सुनिश्चित करें. कई लोगों के जीवन को बचा कर हमें खुशी होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें