रांचीः रांची नगर निगम क्षेत्र में कुल 347 मोबाइल टावर हैं. इनमें मात्र 13 टावर ही ऐसे हैं, जिन्हें लगाने के लिए रांची नगर निगम से अनुमति ली गयी है. 24 मोबाइल टावर ऐसे हैं, जिन्हें लगाने के लिए नगर निगम में परमिशन के लिए आवेदन दिया गया है. इस प्रकार शहर में 311 मोबाइल टावर ऐसे हैं, जो पूरी तरह से अवैध रूप से लगा दिये गये हैं. घनी आबादी के बीच में लगाये गये इन टावरों से जनता परेशान है, वहीं निगम अधिकारी उदासीन बने हुए हैं. नतीजा हर माह दो से तीन टावर राजधानी के मुहल्लों में लग रहे हैं.
मिलीभगत से लग रहा है
किसी भी राज्य में बगैर नगर निगम के परमिशन के मोबाइल टावर नहीं लगाया जाता है. वहीं, राजधानी में अधिकतर मोबाइल टावर मोबाइल कंपनी के अधिकारी व भवन मालिक आपसी तालमेल के आधार पर लगा लेते हैं. यहां मोबाइल कंपनी के प्रतिनिधि भवन मालिक से सीधे तौर पर टावर लगाने के लिए मोटी राशि की पेशकश कर देते हैं. फिर दोनों पक्ष बगैर निगम की सहमति के ही मोबाइल टावर लगा लेते हैं.
क्या है नियम
मोबाइल टावर लगाने के लिए आमतौर पर भवन मालिक व मोबाइल कंपनी द्वारा संयुक्त रूप से निगम में आवेदन जमा करना पड़ता है. आवेदन के जमा करने के बाद निगम के अभियंता संबंधित भवन के स्ट्रकचरल कैपेसिटी की जांच करते हैं. भवन अगर टावर का बोझ उठाने में सक्षम हो, तो निगम टावर लगाने की अनुमति दे देता है. इसके अलावा निगम के अभियंता यह भी देखते हैं कि मोबाइल टावर घनी आबादी से कितनी दूरी पर है. सब कुछ जांच के बाद निगम के अभियंता टावर लगाने की अनुमति तो देते हैं. 220 फीट के टावर के लिए 25 हजार रुपये और 220 फीट के ऊपर के लंबाई वाले टावर के लिए 50 हजार की राशि निगम में जमा करनी पड़ती है. इतना ही नहीं, लगाये गये इन छोटे व बड़े टावरों को सालाना पांच हजार व 10 हजार की राशि निगम में जमा करनी पड़ती है.
रेडियेशन जांच
नगर निगम द्वारा वर्तमान में शहर में लगाये गये सभी मोबाइल टावरों के रेडिएशन की जांच की जा रही है. निगम इस रेडिएशन को एकत्र करके इसका आकलन बीआइटी के विशेषज्ञों से करायेगा. इसके बाद यह रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी जायेगी. इधर, अवैध रूप से लगाये गये मोबाइल टावरों को हटाने की प्रक्रिया आरआरडीए ने शुरू कर दी है. आरआरडीए वीसी सह रांची डीसी ने बिना परमिशन के लगाये गये 22 मोबाइल टावरों को हटाने का आदेश दिया है.