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छत्तीसगढ़-गुमला सीमा पर कैंप तैयार कर रहा नक्सली अरविंद

नक्सली रोहित ने पुलिस की पूछताछ में किया खुलासा रांची : नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता अरविंदजी छत्तीसगढ़ और गुमला की सीमा पर स्थित एक पहाड़ में नक्सलियों के लिए सारंडा की तरह कैंप तैयार कर रहा है. इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को पूछताछ में इनामी नक्सली रोहित ने दी है. पूछताछ के […]

नक्सली रोहित ने पुलिस की पूछताछ में किया खुलासा
रांची : नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता अरविंदजी छत्तीसगढ़ और गुमला की सीमा पर स्थित एक पहाड़ में नक्सलियों के लिए सारंडा की तरह कैंप तैयार कर रहा है. इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को पूछताछ में इनामी नक्सली रोहित ने दी है.
पूछताछ के बाद मंगलवार को रोहित को वापस जेल भेज दिया गया. रोहित ने पुलिस को बताया कि जब से सारंडा में नक्सली कमजोर हुए और वर्ष 2010 के बाद झारखंड में संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेवारी पोलित ब्यूरो के सदस्यों ने अरविंदजी को दी, तब अरविंद 2012 के अंत में गया और चतरा होते हुए झारखंड पहुंचा. उसके बाद उसने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया था. उसने संगठन का बेस कैंप ओड़िशा और गुमला की सीमा पर स्थित एक ऊंचे पहाड़ पर तैयार करने का निर्णय लिया. पहाड़ के ऊपर पानी की सुविधा है.
वहीं इलाका काफी सुरक्षित है. रोहित ने पुलिस को यह भी बताया है कि उसी पहाड़ पर नक्सलियों को हथियार चलाने और दूसरी ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की जा रही है. रोहित ने पुलिस, आइबी, स्पेशल ब्रांच और दूसरे राज्यों की पुलिस को पूछताछ के दौरान काफी अहम जानकारी दी है.
200 हथियार बंद नक्सलियों से घिरा रहता था
रोहित ने पुलिस को बताया कि अरविंद अपनी सुरक्षा में करीब 200 हथियारबंद नक्सलियों को रखता है. वह हमेशा त्रिस्तरीय सुरक्षा में रहता है. उसे पकड़ना पुलिस के लिए आसान नहीं है. रोहित ने बताया कि अरविंद जब बाहर निकलता है, तो उसकी सुरक्षा में नक्सली 100 मीटर की दूरी पर खड़े रहते हैं. इस वजह से पुलिस के आने की भनक अरविंद को पहले ही मिल जाती है. रोहित ने पूछताछ में यह भी बताया है कि अरविंद को हाल में जब गोली लगी थी, तब से संगठन के सदस्यों का मनोबल थोड़ा कमजोर हुआ है.
जमीन विवाद के कारण बना गया नक्सली
पुलिस अफसरों ने जब रोहित से यह जानना चाहा कि वह नक्सली कैसे बना, तब रोहित ने बताया कि मेरे गांव में हमारे मवेशी को खोल कर दूसरे लोग ले जाते थे. हम खेतीबारी भी नहीं कर पाते थे. इसी दौरान एक नक्सली से हमारा संपर्क हुआ, जिसे लोग डॉक्टर के नाम से जानते थे.
उससे संपर्क करने के बाद उसके मवेशी वापस कर दिये गये. उसके बाद धीरे- धीरे वह उसके प्रभाव में आया, फिर संगठन में शामिल हो गया. रोहित के अनुसार झारखंड में नक्सलियों की कमान अरविंदजी ही संभाल रहा है. वह हमला करने के लिए रणनीति तैयार करने में माहिर है. वह खुद नेतृत्व भी करता है. संगठन के सभी लोग उसकी बात भी मानते हैं.

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