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अनुसंधान के लिए 24.6 हजार मामले लंबित

राज्य में हर माह दर्ज होते हैं करीब 3500 मामले नियम : लंबित नहीं रहने चाहिए नौ हजार से ज्यादा मामले सुरजीत सिंह रांची : राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज 24,629 आपराधिक मामलों का अनुसंधान लंबित है. इसमें 16,736 गंभीर अपराध (एसआर) और 7893 सामान्य अपराध (नन एसआर) के मामले हैं. इनमें से 5307 […]

राज्य में हर माह दर्ज होते हैं करीब 3500 मामले
नियम : लंबित नहीं रहने चाहिए नौ हजार से ज्यादा मामले
सुरजीत सिंह
रांची : राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज 24,629 आपराधिक मामलों का अनुसंधान लंबित है. इसमें 16,736 गंभीर अपराध (एसआर) और 7893 सामान्य अपराध (नन एसआर) के मामले हैं. इनमें से 5307 मामलों का अनुसंधान दो साल से अधिक व पांच साल से कम समय से लंबित है, जबकि 933 मामलों का अनुसंधान पांच साल से अधिक व दस साल से कम समय से लंबित है. झारखंड में हर माह करीब 3500 मामले दर्ज होते हैं. इस तरह लंबित मामलों की संख्या करीब सात गुना अधिक है.
बोकारो-धनबाद में सबसे अधिक मामले लंबित
अनुसंधान के लिए लंबित मामलों की सबसे अधिक संख्या कोयला क्षेत्र बोकारो जोन में है. इस जोन में दो प्रमंडल आते हैं कोयला क्षेत्र (बोकारो) और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल (हजारीबाग). कोयला क्षेत्र (बोकारो) प्रमंडल में सिर्फ दो जिले धनबाद और बोकारो हैं. आंकड़ों के मुताबिक दोनों जिलों में 3280 मामलों का अनुसंधान लंबित है. इसमें एसआर के 213 और नन एसआर के 1146 मामले शामिल हैं.
आंकड़ों के मुताबिक बोकारो प्रमंडल में ही सबसे अधिक वैसे मामले लंबित हैं, जिसका अनुसंधान दो साल से अधिक समय से लंबित है. दूसरे नंबर पर उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल (हजारीबाग) के पांच जिले हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, चतरा व रामगढ़ हैं. इन जिलों में अनुसंधान के लिए लंबित मामलों की संख्या 7231 है.
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले पुलिस मुख्यालय में हुई बैठक में भी अनुसंधान के लिए लंबित मामलों पर चर्चा हुई थी. चर्चा के दौरान बैठक में ही डीजीपी ने अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अनुसंधान करनेवाले पदाधिकारी जांच के लिए नहीं निकलते हैं, बल्कि दूसरी वजहों से निकलते हैं. इसलिए यह स्थिति है.

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