रांची: ईसाई आदिवासियों से जुड़े विवादों से निबटने के लिए सरना समाज कानूनी, सामाजिक व राजनीतिक लड़ाई लड़ेगा. धार्मिक आंदोलन के माध्यम से सरना समुदाय को एकजुट किया जायेगा. यह निर्णय बुधवार को राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा की ओर से बुलायी गयी बैठक में लिया गया. निर्णय लिया गया कि 25 सितंबर को राज्य के हर प्रखंड व जिला मुख्यालय में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो व दोषी पादरियों का पुतला दहन किया जायेगा.
देश के अन्य आदिवासी बहुल राज्यों में भी यह कार्यक्रम होगा. यदि चर्च में करमा पर्व मनाया गया, तो इसका विरोध होगा. इसके लिए निगरानी समितियां गठित की जायेंगी. सरकारी सेवारत आदिवासी महिलाओं द्वारा गैरआदिवासियों से विवाह करने पर समाज उसका बहिष्कार करेगा व सेवा समाप्ति की मांग करेगा. राज्य सरकार से करमा पर्व के उपलक्ष्य में 16 सितंबर को राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग की गयी. जिला प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन पर धार्मिक स्थल के लिए भूमि आवंटन का आदिवासी समाज विरोध करता है. करमा को देखते हुए जिला प्रशासन हर अखड़ा की साफ-सफाई कराये.
बैठक में धर्मगुरू बंधन तिग्गा ने कहा कि चर्च अब भी अपने एजेंडे पर कायम है. आंदोलन जारी रहेगा. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी के समक्ष सरना धर्म कोड, ईसाइयों के आपत्तिजनक प्रकाशन, आरक्षण, धर्मातरण जैसे सवालों पर अपनी मांग रखेंगे. प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि धर्म कानूनी नहीं सामाजिक मसला है. कार्डिनल सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के दोषी हैं. अभय भुटकुंवर ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र बनाने के समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन के लिए कार्मिक विभाग से अपील की जायेगी.
आदिवासी सरना समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि ईसाइयों ने कभी नेम्हा बाइबल, कभी आपत्तिजनक पुस्तकें छाप कर और अब प्रतिमा बना कर हमारी भावनाओं को उकसाया है. प्रो प्रवीण उरांव ने कहा कि गुरुवार को मुख्यमंत्री से मिलेंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करने का आश्वासन दिया है. बैठक में बुधु भगत, शिवशंकर उरांव, सुशील उरांव, रवि तिग्गा, शिवा कच्छप, बंधन लकड़ा, रंजीत टोप्पो, सुशील गाड़ी, रतन एक्का, शिबू कच्छप व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.