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कैसे कट गये जंगल, कहां गये बाघ
रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को जंगल, वन भूमि व बाघों के गायब होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मामले को गंभीरता से लिया. वहीं राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा […]
रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को जंगल, वन भूमि व बाघों के गायब होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मामले को गंभीरता से लिया.
वहीं राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि 34 बाघों में से 17 बाघ कहां गये. बाघों की सूची व उसका रिकार्ड प्रस्तुत करने को कहा. खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि जंगलों की कटाई कैसे हुई, किसने जंगल को काटा है.
हजारों हेक्टेयर वन भूमि कहां है. उसकी क्या स्थिति है. वन भूमि पर कैसे और किसकी अनुमति से इंडस्ट्रीज लगायी गयी. वन भूमि को खत्म कर इंडस्ट्री लगाने की अनुमति किसने दी है. अनुमति के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी गयी.
शपथ पत्र के माध्यम से राज्य सरकार को बिंदुवार विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने यह भी कहा कि झारखंड की ब्यूटी कहां चली गयी. चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि आज से 30 वर्ष पूर्व यह क्षेत्र हरा-भरा था.
उस समय गरमी में भी पंखों की जरूरत नहीं पड़ती थी. अब एसी व कुलर लगाने की जरूरत पड़ने लगी है. हुंडरू जल प्रपात से गिर रहे जल की आवाज 10 किमी तक सुनायी पड़ती थी. प्राकृतिक संपदा का हनन हुआ है. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.
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