विभाग ने बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी आदि की समस्या से निबटने के लिए बाल संरक्षण आयोग का गठन वर्ष 2012 में किया. पर, अब तक आयोग को काम काज करने के लिए संसाधन ही उपलब्ध नहीं कराये गये. आयोग के सदस्यों को तीन साल से वेतन नहीं मिला है. अध्यक्ष को सरकार ने एक गाड़ी दी है. पर, उस गाड़ी का अब तक निबंधन नहीं कराया गया है. अध्यक्ष बगैर नंबर की गाड़ी इस्तेमाल कर रही हैं. आयोग में बच्चों से जुड़े 2000 मामलों की सुनवाई के लिए सरकार ने कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी. इससे बाल मजदूरों से जुड़े इन मामलों में आयोग न्यायिक प्रक्रिया पूरी कर फैसला नहीं सुना पा रहा है.
Advertisement
राज्य में 90 हजार हैं बाल मजदूर, एक भी बाल मजदूर का पुनर्वास नहीं
रांची: झारखंड में 90,996 बाल मजदूर हैं. बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए राज्य में नियम-कानून लागू है. बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाल संरक्षण आयोग का भी गठन किया गया है. गठन के बाद से आयोग ने राज्य भर में काम करनेवाले बाल मजदूरों में से किसी के पुनर्वास की व्यवस्था […]
रांची: झारखंड में 90,996 बाल मजदूर हैं. बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए राज्य में नियम-कानून लागू है. बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाल संरक्षण आयोग का भी गठन किया गया है. गठन के बाद से आयोग ने राज्य भर में काम करनेवाले बाल मजदूरों में से किसी के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की है. सरकार ने बाल मजदूरी के खिलाफ प्रचार प्रसार में एक करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 2001 के मुकाबले बाल मजदूरों की संख्या कम हुई है. 2011 में झारखंड में बाल मजदूरों की संख्या 4,07,200 थी. 2011 में यह घट कर 90,996 हो गयी. विभिन्न प्रकार की मजदूरी में लगे इन बच्चों की उम्र पांच से 14 साल तक है. राज्य सरकार के लागू नियम के तहत बाल मजदूरों के पुनर्वास की जिम्मेवारी श्रम नियोजन विभाग की है.
बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए राज्य में लागू नियम के तहत बाल मजदूरी करानेवालों से बतौर दंड 25 हजार रुपये की वसूली की जानी है. साथ ही 25 हजार रुपये सरकारी की ओर से बतौर अनुदान उनके पुनर्वास के लिए दी जानी है.
आयोग के सदस्य संजय मिश्र ने अपने स्तर से स्वयंसेवी संगठनों के सहारे ट्रैफिकिंग के शिकार 630 बच्चों को को मुक्त करा कर उनके पुनर्वास की व्यवस्था की है. सरकार ने बाल मजदूरों के पुनर्वास और प्रचार प्रसार के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15 में दो करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया था. इसमें से एक करोड़ रुपये बाल मजदूरी के खिलाफ प्रचार प्रसार पर खर्च किया गया. पर एक भी बाल मजदूर के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो सकी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement