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जमीन का पट्टा नहीं हो स्थानीयता का आधार: वृंदा

रांची : माकपा राज्य सचिव मंडल की बैठक में स्थानीयता, भूमि अधिग्रहण बिल और खान-खनिज बिल सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक गुरुवार व शुक्रवार को आयोजित की गयी. बैठक के बाद प्रेस से बात करते हुए माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीयता के नाम पर लोगों की […]

रांची : माकपा राज्य सचिव मंडल की बैठक में स्थानीयता, भूमि अधिग्रहण बिल और खान-खनिज बिल सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक गुरुवार व शुक्रवार को आयोजित की गयी. बैठक के बाद प्रेस से बात करते हुए माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीयता के नाम पर लोगों की भावना से खेलना चाहती है.
सर्वदलीय बैठक से पहले सभी दलों को लिखित नोट दिया जाना चाहिए था. भाजपा जिस कट ऑफ डेट की बात कह रही है, वैसा भाजपा शासित राज्यों में ही नहीं है. झारखंड पांचवीं अनुसूची वाला राज्य है. इसमें आदिवासियों की भावना का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. जमीन का आधार बनाना गलत होगा. क्योंकि यह गरीब प्रदेश है, यहां वर्षो से रहनेवालों के पास भी जमीन नहीं है. जमीन के पट्टा को आधार बनाने से कई गरीब स्थानीयता से वंचित हो जायेंगे. सरकार को चाहिए कि एक न्यायिक आयोग बना कर स्थानीय नीति तय कर ले.
सदन से पारित करा लिया, गांव से भी करना होगा
श्रीमती करात ने कहा कि मोदी सरकार बहुमत का इस्तेमाल कर आदिवासी विरोधी नीतियों को ला रही है. केंद्र के माइंस व मिनिरल्स एक्ट (खान-खनिज अधिनियम) का विपरीत असर आदिवासी इलाकों में ज्यादा पड़ेगा. इसको पारित कराने में टीएमसी सहित कई दलों ने सहयोग किया.
खान-खनिज बिल पर आदिवासियों की भूमिका के बारे में कोई जिक्र नहीं है. देश के 50 आदिवासी बहुल जिलों में खान-खनिज है. पार्टी ने तय किया है कि इनकी रक्षा के लिए पार्टी संघर्ष करेगी. मोदी सरकार ने बिल को सदन से तो पारित करा लिया है, इसे गांवों से भी पारित कराना होगा. इस बिल के बारे में भी जेवीएम, जेएमएम जैसी पार्टियों की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है. इस मौके पर माकपा के राज्य सचिव गोपीकांत बख्शी, राजेंद्र सिंह मुंडा भी मौजूद थे.

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