रांची: विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की समय सीमा समाप्त हो गयी है. आयोग की अवधि विस्तार का मामला अभी सरकार के पास विचाराधीन है. फिलहाल सरकार के मौखिक आदेश और आश्वासन के आधार पर आयोग अपना काम जारी रखे हुए है. विधानसभा ने अब तक आयोग को जांच के लिए पूरे दस्तावेज भी नहीं उपलब्ध कराये हैं.
विधानसभा में हुई नियुक्ति घोटाला व दूसरी तरह की गड़बड़ी की जांच का फैसला राष्ट्रपति शासन के दौरान किया गया था. इस फैसले पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष की सहमति के बाद इससे संबंधित आदेश जारी किया गया था. सरकार ने जांच के लिए 10 मई 2013 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन का आदेश जारी किया. सरकार ने आयोग का कार्यकाल तीन माह निर्धारित करते हुए जांच के लिए 30 बिंदु तय किये थे. जांच के लिए निर्धारित तीन माह की अवधि में आयोग को कार्यालय व अन्य सुविधाएं आदि उपलब्ध कराने में करीब एक माह का समय खत्म हो गया. इसके बाद आयोग ने अपना कामकाज शुरू किया. आयोग ने अपना कार्यकाल समाप्त से पहले सरकार के एक साल के अवधि विस्तार की मांग की.
इसके लिए जांच के लिए निर्धारित बिंदु के मुकाबले समय की कमी का उल्लेख किया गया. 10 अगस्त 2013 को आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया है. पर, सरकार ने अब तक अवधि विस्तार के मामले में अब तक फैसला नहीं किया है. दूसरी तरफ विधानसभा ने नियुक्ति घोटाले व अन्य प्रकार की गड़बड़ी से संबंधित फाइलें आयोग को नहीं सौंपी है. विधानसभा सचिवालय ने आयोग द्वारा मांगी गयी कुछ सूचनाएं भी आधी अधूरी दी है. इससे जांच का काम प्रभावित है.