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भूमिगत खान ही कोयले का भविष्य

रांची: खान सुरक्षा महानिदेशालय के उप महानिदेशक अनूप कुमार विश्वास का मानना है कि भूमिगत खदान ही कोयले का भविष्य है. कोयला देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा कर रहा है. श्री विश्वास शुक्रवार को सीएमपीडीआइ के मयूरी प्रेक्षागृह में भारतीय भू-खनन परिस्थितियों में भूमिगत कोयला खनन : खान ऑपरेटरों का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित […]

रांची: खान सुरक्षा महानिदेशालय के उप महानिदेशक अनूप कुमार विश्वास का मानना है कि भूमिगत खदान ही कोयले का भविष्य है. कोयला देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा कर रहा है. श्री विश्वास शुक्रवार को सीएमपीडीआइ के मयूरी प्रेक्षागृह में भारतीय भू-खनन परिस्थितियों में भूमिगत कोयला खनन : खान ऑपरेटरों का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि हम बहुत बड़ी राशि विदेशों से कोयला लाने में खर्च कर रहे हैं. वर्ष 2012-13 में देश में करीब 100 मिलियन टन कोयला दूसरे देशों से लाया गया. हम अंडर ग्राउंड खदान से कोयला निकालेंगे, तो इस कमी को दूर कर सकते हैं. देश में मात्र 10 फीसदी कोयले का उत्पादन ही अंडर ग्राउंड माइंस से कर पा रहे हैं, जबकि विकसित देश 90 फीसदी तक कोयला अपनी अंडर ग्राउंड खदानों से निकाल रहे हैं.

सीएमपीडीआइ के सीएमडी एके देबनाथ ने कहा कि विगत वर्षो में भूमिगत खदान से कोयला निकालने में कमी आयी है. इसका एक कारण डीजीएमएस द्वारा भूमिगत खदान में डिपिलरिंग भी है. आनेवाले समय में यह एक बड़ी चुनौती होगी. इससे निपटने के लिए आगे आना होगा. इस मौके पर तीन तकनीकी सत्र आयोजित किये गये. सीएमपीडीआइ के निदेशक तकनीकी डीके घोष, आरके चोपड़ा, एस शरण, सीवीओ एमके झा, बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी डीसी झा, एके सरकार सीसीएल के निदेशक तकनीकी टीके नाग भी मौजूद थे.

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