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जेल ब्रेक में शामिल नक्सली ने किया सरेंडर
रांची : चाईबासा जेल से फरार भाकपा माओवादी दस्ते का सदस्य विमल गुड़िया उर्फ पांडेय गुड़िया उर्फ टिबू गुड़िया ने बुधवार को डीजीपी डीके पांडेय के समक्ष सरेंडर कर दिया.डीजीपी ने नक्सली विमल गुड़िया का स्वागत करते हुए कहा: हमारे और भी भाई रास्ते से भटक गये हैं. हिंसा की राह पर चल रहे हैं. […]
रांची : चाईबासा जेल से फरार भाकपा माओवादी दस्ते का सदस्य विमल गुड़िया उर्फ पांडेय गुड़िया उर्फ टिबू गुड़िया ने बुधवार को डीजीपी डीके पांडेय के समक्ष सरेंडर कर दिया.डीजीपी ने नक्सली विमल गुड़िया का स्वागत करते हुए कहा: हमारे और भी भाई रास्ते से भटक गये हैं. हिंसा की राह पर चल रहे हैं.
भटके हुए लोग मुख्य धारा में आयें और राज्य के विकास का हिस्सा बनें. डीजीपी ने नक्सली को तत्काल 50 हजार रुपये नकद सौंपे. एडीजी स्पेशल ब्रांच रेजी डुंगडुंग ने बताया कि विमल गुड़िया के खिलाफ 15 मामले दर्ज हैं.
नौ दिसंबर 2014 को वह अपने साथियों के साथ चाईबासा जेल से फरार हो गया था. फरार होने के बाद सारंडा के तिरिलपोशी इलाके में नक्सली जॉनसन और संदीप के साथ सक्रिय था. पुलिस ने बिमल के परिवार वालों को सरकार की सरेंडर पॉलिसी के बारे में बताया और समझाया. इसके बाद विमल सरेंडर करने के लिए तैयार हो गया. एडीजी अभियान अनिल पाल्टा ने कहा कि विमल का पिछले 10 साल का आपराधिक इतिहास रहा है. यह अनमोल के दस्ते में काम करता था.
संगठन में होता है शोषण: विमल
नक्सली विमल ने बताया कि संगठन में बहुत शोषण होता है. संगठन में शामिल संताली लोग मुंडा आदिवासियों का शोषण करते हैं. उसने बताया कि संगठन में और भी लोग हैं, जो सरेंडर करना चाहते हैं. लेकिन, वे इस बात से डरते हैं कि पुलिस उन्हें मारपीट करेगी. लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं होता है. संगठन में वह सिर्फ हथियार लेकर चलने का काम करता था.
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