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डेयरी के लिए मांगी सहायता

सीएम रघुवर दास ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को लिखा पत्र संजय, रांची मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को पत्र लिख कर झारखंड को राष्ट्रीय गव्य योजना (नेशनल डेयरी प्लान या एनडीपी) में शामिल करने की मांग की है. ऐसा होने पर राज्य को इस योजना के तहत […]

सीएम रघुवर दास ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को लिखा पत्र
संजय, रांची
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को पत्र लिख कर झारखंड को राष्ट्रीय गव्य योजना (नेशनल डेयरी प्लान या एनडीपी) में शामिल करने की मांग की है. ऐसा होने पर राज्य को इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता मिलेगी. गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्रलय नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के मार्फत देश में नेशनल डेयरी प्लान-फेज वन का संचालन कर रहा है.
छह वर्षो (वर्ष 2011-12 से 2016-17 तक) के पहले चरण में देश भर में डेयरी विकास पर 2242 करोड़ रु खर्च होने हैं.
योजना के तहत उन 14 राज्यों में डेयरी विकास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, जहां देश में कुल दूध का 90 फीसदी उत्पादन होता है. इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश व प.बंगाल शामिल हैं.
प्लान का पैसा उन्नत नस्ल के सांढ़ विकास, कृत्रिम गर्भाधान के जरिये नस्ल सुधार, चारा विकास, पशु वीर्य का उत्पादन बढ़ाने, पशुओं को पोषक आहार उपलब्ध कराने, गांव आधारित दुग्ध संग्रह तंत्र विकसित करने, पशुपालकों के प्रशिक्षण व मूल्यांकन सहित डेयरी में सूचना तकनीक के उपयोग जैसे कार्यक्रम पर खर्च होता है. मुख्यमंत्री इसी योजना के तहत झारखंड के लिए भी सहायता की मांग कर रहे हैं. राज्य सरकार के साथ एक मार्च 2014 को हुए करार के तहत एनडीडीबी अभी झारखंड में दूध की मार्केटिंग का काम देख रहा है.
झारखंड मिल्क प्रोक्योरमेंट फेडरेशन व सरकार की डेयरी मेधा का संचालन अब बोर्ड के ही जिम्मे है, पर पशुपालन व गव्य विकास के लिए योजनागत खर्च राज्य सरकार ही कर रही है. राज्य में डेयरी विकास के लिए और धन तथा तकनीकी सहायता की जरूरत है. गव्य निदेशालय, सूत्रों के अनुसार राज्य के जनजातीय समूहों सहित अन्य स्थानीय लोगों में दूध पीने व इसके उत्पादन के प्रति रुचि कम है. इससे भी डेयरी को बढ़ावा नहीं मिल रहा है.
राजधानी रांची में चार लाख लीटर दूध की कमी
बेसिक एनिमल हसबेंडरी स्टैटिस्टिक्स-06 के अनुसार, झारखंड में गायों की कुल संख्या 76.59 लाख व भैंस की संख्या 13.43 लाख है. इतनी बड़ी संख्या के बावजूद झारखंड में दूध की कमी है. झारखंड को हर रोज 76 लाख लीटर दूध चाहिए, जबकि उत्पादन होता है सिर्फ 45 लाख लीटर. यानी राज्य अपनी जरूरत का करीब 60 फीसदी दूध का ही उत्पादन करता है.
अकेले रांची जिले (सिर्फ शहर नहीं) में रोज 12 लाख लीटर दूध चाहिए. वहीं उपलब्धता सिर्फ आठ लाख लीटर है (नित्यानंद शुक्ला की रिपोर्ट-2008). शहर के विभिन्न इलाके के कुल निबंधित 1244 खटालों में 10231 मवेशी हैं, जो रोजाना करीब 57 हजार लीटर दूध का उत्पादन करते हैं. रांची का ओरमांझी प्रखंड दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां से हर रोज करीब आठ हजार लीटर दूध बाजार में आता है.

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