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हाइकोर्ट ने दिया था बोर्ड गठन का आदेश
राणा प्रताप रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) का बोर्ड वर्ष 2010 से नहीं बना है. इसके अभाव में काउंसिल का कार्य प्रभावित हो रहा है. इस बोर्ड का गठन तीन वर्षो के लिए होता है. इसमें 19 सदस्य होते है. पिछले पांच वर्षो से बोर्ड का अस्तित्व नहीं रहने के कारण काउंसिल में दर्जनों […]
राणा प्रताप
रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) का बोर्ड वर्ष 2010 से नहीं बना है. इसके अभाव में काउंसिल का कार्य प्रभावित हो रहा है. इस बोर्ड का गठन तीन वर्षो के लिए होता है. इसमें 19 सदस्य होते है. पिछले पांच वर्षो से बोर्ड का अस्तित्व नहीं रहने के कारण काउंसिल में दर्जनों महत्वपूर्ण मामले लंबित हो गये हैं.
शैक्षणिक विकास की गतिविधियों पर इसका असर पड़ रहा है. हालांकि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल ने उच्च शिक्षा निदेशक के संयोजकत्व में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने विज्ञापन जारी कर बोर्ड सदस्य के लिए अर्हता रखनेवाले अभ्यर्थियों से आवेदन भी आमंत्रित किया था. 100 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे. आवेदनों की स्क्रूटनी कर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी. प्रस्ताव भी बढ़ा पर मामला लंबित रहा. राष्ट्रपति शासन समाप्त होने पर सरकार का गठन हुआ.
तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के कार्यकाल में कई बार संचिका बढ़ी, लेकिन बोर्ड गठन पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका.
गौरतलब है कि काउंसिल बोर्ड के गठन की मांग को लेकर झारखंड इंटरमीडिएट शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के महासचिव रघुनाथ सिंह ने झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. वर्ष 2011 में हाइकोर्ट ने दो माह के अंदर राज्य सरकार को जैक बोर्ड गठन करने का आदेश दिया था. सरकार ने बोर्ड का गठन नहीं किया. इसके बाद श्री सिंह ने अवमानना याचिका दायर की. सरकार ने हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर 22 जुलाई 2013 तक बोर्ड गठन की बात कही थी.
बोर्ड में होते है 19 सदस्य
बोर्ड में 19 सदस्य होते है. जैक के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, तीन विधायक, निदेशक माध्यमिक, विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, राजकीयकृत हाइस्कूल के एक प्राचार्य, इंटर कॉलेज के एक प्राचार्य, एसटी, एससी, एसटी महिला, सामान्य कोटि, ओबीसी कोटि से एक-एक सदस्य, एक-एक 15 वर्षो का अनुभव रखनेवाले अरबी-फारसी (मदरसा) व संस्कृत विद्वान एवं अन्य सदस्य के रूप में नियुक्त किये जाते है.
ये कार्य हो रहे हैं प्रभावित
प्रस्वीकृति समिति, परीक्षा समिति, वित्त समिति, एकेडमिक समिति का गठन.
इंटर, मदरसा, संस्कृत व स्थापना अनुमति प्राप्त स्कूलों की प्रस्वीकृति लंबित.
डिग्री से इंटर की शिक्षा अलग करने पर नहीं हो पा रहा निर्णय.
इंटर कॉलेजों में शासी निकाय के गटन का मामला भी लंबित.
परीक्षा नियंत्रक व एकेडमिक ऑफिसर की नहीं पा रही नियुक्ति.
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