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झारखंड कैबिनेट का फैसला : नयी सरेंडर पॉलिसी मंजूर, समर्पण पर उग्रवादी को पांच लाख तक मिलेंगे

रांची : राज्य सरकार ने नयी सरेंडर पॉलिसी को मंजूरी दे दी. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे सहमति दी गयी. नयी पॉलिसी के तहत उग्रवादियों को दो श्रेणी में बांटा गया है. ए श्रेणी में उग्रवादी संगठन के जोनल कमांडर व उसके ऊपर के स्तर के उग्रवादियों को रखा गया है. सरेंडर […]

रांची : राज्य सरकार ने नयी सरेंडर पॉलिसी को मंजूरी दे दी. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे सहमति दी गयी. नयी पॉलिसी के तहत उग्रवादियों को दो श्रेणी में बांटा गया है. ए श्रेणी में उग्रवादी संगठन के जोनल कमांडर व उसके ऊपर के स्तर के उग्रवादियों को रखा गया है.
सरेंडर करने पर इन्हें पांच लाख रुपये पुनर्वास अनुदान दिये जायेंगे. एक लाख रुपये का भुगतान तत्काल किया जायेगा. शेष रकम दो किस्तों में दी जायेगी. बी श्रेणी में जोनल कमांडर से नीचे के उग्रवादियों को रखा गया है. इस श्रेणी के उग्रवादियों के सरेंडर करने पर उन्हें ढाई लाख रुपये दिये जायेंगे. 50 हजार रुपये का भुगतान तत्काल होगा. शेष राशि दो किस्तों में दी जायेगी. दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान विशेष शाखा की ओर से सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों की जांच के बाद किया जायेगा.
सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों के बच्चों की स्नातक तक की शिक्षा के लिए होस्टल फीस व अन्य खर्च का भुगतान किया जायेगा. यह खर्च सालाना अधिकतम 25 हजार रुपये होगा.
पंचायतों को मिली वित्तीय शक्ति : कैबिनेट ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को राजस्व की शक्ति देने का फैसला किया है. इसके तहत पंचायतों को सैरातों की बंदोबस्ती और उससे मिली राशि को विकास मद में खर्च करने का अधिकार दिया गया है. ग्राम पंचायतों को 25 हजार रुपये तक की सैरातबंदोबस्ती का अधिकार दिया गया. पंचायत समिति को 50 हजार से एक लाख तक की सैरात बंदोबस्ती का अधिकार दिया गया.
जबकि जिला परिषदों को एक लाख रुपये से अधिक की सैरात बंदोबस्ती का अधिकार दिया गया. इससे ग्राम पंचायतों को मिलनेवाली राशि का 25 फीसदी सैरातों के रख-रखाव पर खर्च होगा और 75 प्रतिशत ग्राम सभा की सहमति से विकास कार्यो पर खर्च किया जायेगा. पंचायत समिति को मिली राशि में से 50 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को दिया जायेगा. जिला परिषद 50 प्रतिशत राशि ग्राम पंचायतों और 25 फीसदी राशि पंचायत समितियों को हस्तांतरित कर देगी.
पर्यावरण स्वीकृति की फीस घटी : कैबिनेट ने बालू घाटों की पर्यावरण स्वीकृति के लिए निर्धारित शुल्क को कम कर दिया है.
अब 0.5 एकड़ तक के बालू घाटों के लिए पर्यावरण स्वीकृति शुल्क 2500 के बदले 500 रुपये लगेंगे. 0.5 से एक एकड़ तक के बालू घाटों के लिए फीस पांच हजार के बदले एक हजार रुपये लगेंगे. एक से ढाई एकड़ तक के बालू घाटों के लिए फीस 20 हजार के बदले दो हजार लगेंगे. पांच एकड़ से बड़े बालू घाटों के लिए पर्यावरण स्वीकृति की फीस एक लाख के बदले 10 हजार रुपये होगी.
इस्टर्न कॉरिडोर परियोजना का जिम्मा टाटा स्टील को
कैबिनेट ने टाटा स्टील लिमिटेड को इस्टर्न कॉरिडोर परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी है. परियोजना पर कुल 1475 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. यह राशि टाटा स्टील ही खर्च करेगी. बदले में टोल टैक्स लगा कर राशि वसूलेगी.
इस परियोजना के तहत जमशेदपुर-हाता से फोर लेन सड़क (18.1 किमी) का निर्माण किया जायेगा. सड़क शहर की मुख्य औद्योगिक इकाइयों को जोड़ते हुए एनएच 33 से मिलेगी. इसके लिए स्वर्णरेखा नदी पर एक नये पुल का निर्माण किया जायेगा. इससे हाता-तिरिंग होते हुए ओड़िशा जाना आसान हो जायेगा.
रांची में पीपीपी मोड पर छह विश्वविद्यालय बनाने का फैसला
– सरकार ने खूंटी में नॉलेज सिटी के लिए 108.95 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी. चालू वित्तीय वर्ष में 50 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे
– अस्पतालों में दवा व उपकरण खरीद के लिए 95.03 करोड़ रुपये को मंजूरी
– बीपीएल परिवारों को चीनी देने का फैसला
– रामगढ़ कैंटोनमेंट एरिया को अन्य नगर निकायों की तरह अनुदान मिलेगा
– देवघर में बाइपास रोड बनाने सहित अन्य सड़क की कुल 3,446 करोड़ की योजनाओं की स्वीकृति
– रांची में पीपीपी मोड पर खेल अकादमी और खेल विश्वविद्यालय बनेगा. खेल विवि की स्थापना झारखंड खेल प्राधिकरण द्वारा ज्वाइंट वेंचर में निजी कंपनी के साथ मिल कर किया जायेगा. ज्वाइंट वेंचर में खेल प्राधिकरण की भागीदारी 26 से 49 फीसदी तक होगी.
237.21 करोड़ की लागत से बागबेड़ा जलापूर्ति योजना की स्वीकृति

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